swami vivekanand ke jivan ke bare mein sankshep mein likhiye.......
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स्वामी विवेकानंद भारत के महान दार्शनिक थे, जो जिन्होंने पूरी दुनिया को हिन्दुत्व और आध्यात्म का परचम लहराया। उनका मानना था कि युवा किसी भी देश की वो शक्ति है, जो देश को विकसित और दुनिया की ताकत बनाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। स्वामी विवेकानंद के जन्मदिन के अवसर पर भारत में 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। साथ ही स्वामी विवेकानंद को 1893 में शिकागो में हुई विश्व धर्म सम्मेलन में भारत को विश्वपटल पर एक नई पहचान दिलाई। उनके ओजपूर्ण विचार और महान शख्सियत किसी भी वर्ग और धर्म के लोगों को प्रेरणा प्रदान करती है
स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कलकत्ता के कायस्थ परिवार में हुआ था। उनका बचपन का नाम नरेंद्रनाथ दत्त था। स्वामी विवेकानंद के पिता विश्वनाथ दत्त कलकत्ता हाईकोर्ट के वकील थे, जबकि मां भुवनेश्वरी देवी धार्मिक विचारों वाली महिला थीं।
Explanation:
स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी सन् 1863 को हुआ। उनका घर का नाम नरेंद्र दत्त था। उनके पिता विश्वनाथ दत्त पाश्चात्य सभ्यता में विश्वास रखते थे। वे अपने पुत्र नरेंद्र को भी अंगरेजी पढ़ाकर पाश्चात्य सभ्यता के ढंग पर ही चलाना चाहते थे। नरेंद्र की बुद्धि बचपन से बड़ी तीव्र थी और परमात्मा को पाने की लालसा भी प्रबल थी। इस हेतु वे पहले ब्रह्म समाज में गए किंतु वहां उनके चित्त को संतोष नहीं हुआ।
सन् 1884 में विश्वनाथ दत्त की मृत्यु हो गई। घर का भार नरेंद्र पर पड़ा। घर की दशा बहुत खराब थी। कुशल यही थी कि नरेंद्र का विवाह नहीं हुआ था। अत्यंत गरीबी में भी नरेंद्र बड़े अतिथि-सेवी थे। स्वयं भूखे रहकर अतिथि को भोजन कराते, स्वयं बाहर वर्षा में रातभर भीगते-ठिठुरते पड़े रहते और अतिथि को अपने बिस्तर पर सुला देते।