swang par vishwas essay 3min
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संस्कृत में कहा गया है कि मन ही मनुष्य के बंधन ओर मो क्ष का कारण है: ‘मन एवं मनुष्याणां कारण बंधा न मोक्ष्यों’ । मन की स्थिति अत्यंत महत्वपूर्ण है । मन ही व्यक्ति को सांसारिक बंधनों से बाँधता है, मन ही उसे इन बै धनों से छुटकारा दिलाता है ।
मन ही मन उसे अनेक प्रकार की बुराइयों की ओर प्रवृत्त करता है, तो मन ही उसे अज्ञान से ज्ञान की ओर अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है । भाव यह है कि मन चाहे तो क्या नहीं कर सकता । इसीलिए एक विचारक ने कहा है: ”जिसने मन को जीत लिया बस उसने जीत लिया संसार” सृष्टि के अन्य चराचरों का केवल मानव के पास ही ‘मन’ की शक्ति है ।
अन्य प्राणियों के पास नहीं । मन के कारण ही इच्छा-अनिच्छा, संकल्प-विकल्प, अपेक्षा-उपेक्षा आदि भावनाएँ जन्म लेती हैं । मन में मनन करने की क्षमता है इसी कारण मनुष्य को चिंतनशील प्राणी कहा गया है । संकल्पशील रहने पर व्यक्ति कठिन से कठिन अवस्था में भी पराजय स्वीकार नहीं करता तो इसके टूट जाने पर छोटी विपत्ति में भी निराश होकर बैठ जाता है ।