Hindi, asked by manimani73117, 3 months ago

Swaraj ne neev ka saramsh​

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Answered by tiwaririnku512
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Answer:

ललितपुर। झांसी की रानी लक्ष्मीबाई स्वराज के लिए लड़ी और स्वराज्य के लिए मरी और मरकर स्वराज के नींव का पत्थर बनीं। उक्त उद्गार दीपचंद्र चौधरी महाविद्यालय में आयोजित रानी लक्ष्मीबाई जयंती समारोह में वक्ताओं ने व्यक्त किए। ... वह अंत तक स्वराज के लिए लड़ती रहीं और मरकर भी स्वराज्य की नींव का पत्थर बन गईं।

Answered by banothsidhu2007
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यह कहानी तब की है जब भारत पर अंग्रेजों का राज्य था। एक दिन वे इस देश में व्यापार करने आए थे और बन बैठे शासक। करीब दो सौ वर्षों तक उन्होंने राज्य किया। इस दौरान 1947 में स्वतन्त्र होने तक, कई तरीकों से भारत ने मुक्ति पाने की कोशिश की। बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला को अंग्रेजों ने हराया था। इस लड़ाई के महत्वपूर्ण परिणाम हुए अंग्रेज अन्य राजाओं और नवाबों के राज्यों पर भी कब्जा करते रहे और धीरे-धीरे एक दिन सारे देश पर उनका शासन हो गया। शुरू-शुरू में अंग्रेज दिल्ली के मुगल बादशाहों के दरबार में साधारण दरबारियों की तरह से आते थे। उन्हें खिराज देते थे

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई स्वराज के लिए लड़ी और स्वराज्य के लिए मरी और मरकर स्वराज के नींव का पत्थर बनीं। उक्त उद्गार दीपचंद्र चौधरी महाविद्यालय में आयोजित रानी लक्ष्मीबाई जयंती समारोह में वक्ताओं ने व्यक्त किए।

झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की जयंती समारोह का शुभारंभ उनके चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन व माल्यार्पण करके किया गया।

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