swarn ki paribhasha or kitne prakar hai
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Explanation:
उच्चारित ध्वनि संकेतों को (वायु) ध्वनि कहा जाता हैं। जबकि लिखित ध्वनि संकेतों को देवनागरी लिपि के अनुसार वर्ण कहा जाता हैं देवनागरी लिपि में प्रत्येक ध्वनि के लिए एक निश्चित संकेत (वर्ण) होता हैं।
भाषा की सबसे छोटी इकाई वर्ण या ध्वनि होती हैं जबकि भाषा की सबसे छोटी सार्थक इकाई वाक्य मानी जाती हैं। भाषा शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के बोलना शब्द से हुई हैं।
हिंदी भाषा की उत्पत्ति निम्न तरीके से हुआ।
संस्कृति – पाली – प्राकृत – अपभ्रंश – अपहटटय – आधुनिक – हिंदी
हिंदी में उच्चारण की दृष्टि से वर्णो की संख्या 45 (35 व्यंजन + 10 स्वर) जबकि लेखन की दृष्टि से कुल वर्ण 52 (39 व्यंजन + 13 स्वर) होते हैं।
हिंदी भाषा में प्रयुक्त सबसे छोटी ध्वनि वर्ण कहलाती है। यह मूल ध्वनि होती है, इसके और खण्ड नहीं हो सकते।
Explanation:
1) स्वर (vowel) :- वे वर्ण जिनके उच्चारण में किसी अन्य वर्ण की सहायता की आवश्यकता नहीं होती, स्वर कहलाता है।
इसके उच्चारण में कंठ, तालु का उपयोग होता है, जीभ, होठ का नहीं।
हिंदी वर्णमाला में 16 स्वर है
जैसे- अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ अं अः ऋ ॠ ऌ ॡ।
स्वर के भेद
स्वर के दो भेद होते है-
(i) मूल स्वर(ii) संयुक्त स्वर
(i) मूल स्वर:- अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ओ
(ii) संयुक्त स्वर:- ऐ (अ +ए) और औ (अ +ओ)