Swasthya Ke Bina Jeevan Bhoja in Hindi in essay
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इस सुरदुर्लभ मानव शरीर में प्राप्त हो सकने वाली शुभ सम्वेदनाओं में अवरोध उत्पन्न न हो उसके लिए यह आवश्यक है कि हमारी गतिशीलता के द्वार खुले रहें। शरीर के स्वस्थ, मन के स्वच्छ, समाज के सभ्य रहने पर ही हम उस आनन्द को प्राप्त कर सकते हैं, उस लक्ष को पूर्ण कर सकते हैं जिसके लिए यह जन्म हमें मिला है। यह तीन ही विभूतियाँ इस संसार में हैं, इन्हीं के आधार पर अन्य सब प्रकार की सम्पदायें उपलब्ध होती हैं। जिसके पास पारस होगा उसे धन की क्या कमी रहेगी? जिसके पास अमृत होगा उसे मृत्यु से क्यों डरना पड़ेगा? जिसके घर में कल्पवृक्ष होगा उसकी कोई कामना क्यों अपूर्ण रहेगी? स्वस्थ शरीर, स्वच्छ मन और सभ्य समाज की गणना पारस, अमृत और कल्पवृक्ष से की जा सकती है। पुराणों में वर्णित ये तीन विभूतियाँ चाहे काल्पनिक ही सिद्ध क्यों न हों पर यह प्रत्यक्ष विभूतियाँ ऐसी हैं जिन का सत्परिणाम हाथों हाथ देखा जा सकता है।