Swatantrata Aandolan se Jude 5 Kranti Kariyo veeron ke bare mein Sachitra Pariyojna bataiye
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मंगल पांडे
जन्म - 30 जनवरी 1827 बलिया, उत्तर प्रदेश
मृत्यु - 8 अप्रैल 57, बैरकपुर
बैरकपुर छावनी में बंगाल नेटिव इंफैंट्री की 34वीं रेजीमेंट में सिपाही रहे, जहां गाय और सूअर की चर्बी वाले कारतूस और अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह का शंखनाद किया।
रानी लक्ष्मीबाई
जन्म : 19 नवंबर 1835, भदैनी, वाराणसी
मृत्यु : 18 जून 1858, कोटा की सराय, ग्वालियर
झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की महान वीरांगना के रूप में जानी जाती हैं। अंग्रेजों की भारतीय राज्यों को हड़पने की नीति के विरोध स्वरूप उन्होंने हुंकार भरी 'अपनी झांसी नहीं दूंगी' और अपनी पीठ के पीछे दामोदर राव को कसकर घोड़े पर सवार हो, अंगरेजों के खिलाफ युद्ध का उद्घोष किया।
महात्मा गांधी
जन्म : 2 अक्टूबर 1869, पोरबंदर, गुजरात
मृत्यु : 30 जनवरी 1948, नई दिल्ली
शिक्षा : बैरिस्टर, युनिवर्सिटी कॉलेज,लंदन
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी महात्मा गांधी के पूर्व भी शान्ति और अहिंसा की के बारे में लोग जानते थे, परन्तु उन्होंने जिस प्रकार सत्याग्रह, शांति व अहिंसा के रास्तों पर चलते हुए अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया, उसका कोई दूसरा उदाहरण विश्व इतिहास में देखने को नहीं मिलता।
रामप्रसाद बिस्मिल
जन्म : 11 जून 1897, शाहजहांपुर,
मृत्यु : 19 दिसंबर 1927, गोरखपुर,
स्वतंत्रता संग्रात सेनानी के साथ बेहतरीन कवि, शायर और लेखक, मैनपुरी षड्यंत्र में शाहजहांपुर के 6 युवक पकड़ाए, जिनके लीडर रामप्रसाद बिस्मिल थे, लेकिन वे पुलिस के हाथ नहीं लग पाए। इस षड्यंत्र का फैसला आने के बाद से बिस्मिल 2 साल तक भूमिगत रहे। और एक अफवाह के तरह उन्हें मृत भी मान लिया गया। इसके बाद उन्होंने एक गांव में शरण ली और अपना लेखन कार्य किया।
अशफाक उल्ला खां
जन्म : 22 अक्टूबर 1900 ई., शाहजहांपुर
मृत्यु : 19 दिसंबर 1927, फैजाबाद जेल में फांसी
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के साथ हिन्दी, उर्दू और अंग्रेजी में लेखन कार्य, देश में चल रहे आंदोलनों और क्रांतिकारी घटनाओं से प्रभावित अशफाक के मन में भी क्रांतिकारी भाव जागे और उसी समय उनकी मुलाकात मैनपुरी षड्यंत्र के मामले में शामिल रामप्रसाद बिस्मिल से हुई और वे भी क्रांति के जश्न में शामिल हो गए। इसके बाद वे ऐतिहासिक काकोरी कांड में सहभागी रहे।
भगत सिंह
जन्म : 28 सितंबर 1907, बावली, पंजाब
मृत्यु : 23 मार्च 1931, लाहौर जेल में फांसी
नौजवान भारत सभा, हिंदुस्तान सोशलिस्ट, प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी , उनका विश्वास था कि उनकी शहादत से भारतीय जनता और उग्र हो जाएगी,लेकिन जबतक वह जिंदा रहेंगे ऐसा नहीं हो पाएगा। इसी कारण उन्होंने मौत की सजा सुनाने के बाद भी माफीनामा लिखने से साफ मना कर दिया था।
चंद्रशेखर आजाद
जन्म : 23 जुलाई 1906, भाबरा, अलीराजपुर
मृत्यु : 27 फरवरी 1931, अल्फ्रेड पार्क, इलाहबाद, उत्तरप्रदेश
हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन के प्रमुख सेनापति और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, चंद्रशेखर आजाद 14 वर्ष की आयु में बनारस गए और वहां एक संस्कृत पाठशाला में पढ़ाई की। वहां उन्होंने कानून भंग आंदोलन में योगदान दिया था। 1920-21 के वर्षों में वे गांधीजी के असहयोग आंदोलन से जुड़े। वे गिरफ्तार हुए और जज के समक्ष प्रस्तुत किए गए। जहां उन्होंने अपना नाम 'आजाद', पिता का नाम 'स्वतंत्रता' और 'जेल' को उनका निवास बताया। उन्होंने आजाद जीवन जिया और बंदी जीवन के बजाय उन्होंने आजाद मौत चुनी..
नेताजी सुभाषचंद्र बोस
जन्म : 23 जनवरी 1897
मृत्यु : 18 अगस्त 1945
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी सेनानी, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष, आजाद हिंद फौज के सुप्रीम कमांडर, आईसीएस की परीक्षा में उत्तीर्ण करने के बाद सुभाष ने आईसीएस से इस्तीफा दिया। इस बात पर उनके पिता ने उनका मनोबल बढ़ाते हुए कहा- 'जब तुमने देशसेवा का व्रत ले ही लिया है, तो कभी इस पथ से विचलित मत होना।'
जवाहर लाल नेहरू
जन्म : 14 नवंबर, 1889 इलाहबाद, उत्तरप्रदेश
मृत्यु : 27 मई 1964
कांग्रेस पार्टी के अंतर्गत, आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री, नेहरू पाकिस्तान और चीन के साथ भारत के संबंधों में सुधार नहीं कर पाए। उन्होंने चीन की तरफ मित्रता का हाथ भी बढ़ाया, लेकिन 1962 में चीन ने धोखे से आक्रमण कर दिया। चीन का आक्रमण जवाहरलाल नेहरू के लिए एक बड़ा झटका था।
सरदार वल्लभभाई पटेल
जन्म : 31 अक्टूबर 1875, नडियाद, गुजरात
मृत्यु : 15 दिसंबर 1950
लौह पुरूष माने जाने वाले भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और भारत के पहले उपप्रधानमंत्री, सबसे बड़ा योगदान बंटवारे के बाद भारतीय रियासतों के भारत में विलय का है। इसके अलावा सूखाग्रस्त खेड़ा क्षेत्र के किसानों के लिए अंग्रेज सरकार से कर में छूट देने की मांग की। जब अंग्रेज सरकार ने इस मांग को स्वीकार नहीं किया, तो सरदार पटेल, महात्मा गांधी और अन्य लोगों ने किसानों का नेतृत्व किया और उन्हें कर नहीं देने के लिए प्रेरित किया। अंत: में सरकार को झुकना पड़ा और किसानों को कर में राहत दे दी गई।
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