swatantrata andolan mein mahilaon k bhumika
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भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई केवल पुरुषों की हिस्सेदारी से फतह नहीं की गयी बल्कि इस महायज्ञ में महिलाओं की भूमिका भी उल्लेखनीय है। भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में महिलाओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। अंग्रेजों के विरूद्ध पुरूषों के कंधे से कंधा मिलाकर देश की बेटियों ने अपना कर्तव्य निभाया। उन्होने अंग्रेजों के विरूद्ध कदम उठाए, वीरता और साहस तथा नेतृत्व की क्षमता का अभूतपूर्व परिचय दिया। 1857 के बगावत के समय राजघराने की महिलाएं आजाद भारत का सपना पूरा करने के लिए पुरूषों के साथ एकजुट हुईं। इनमें प्रमुख थीं इन्दौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर और झांसी की महारानी लक्ष्मीबाई। 1857 की हार के बाद ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी का स्थान ब्रिटिश सरकार ने ले लिया और ब्रिटिश शासन एक ऐतिहासिक सच बन गया।
इतिहास गवाह है कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में जहां पुरुषों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, तो महिलाएं भी पीछे नहीं रहीं। महिलाओं ने समय-समय पर अपनी बहादुरी और साहस का प्रयोग कर पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिला कर चली। रानी लक्ष्मी बाई और रानी चेनम्मा जैसी वीरांगनाओं ने अंग्रेजों से लड़ते हुए अपनी जान दे दी। तो सरोजिनी नायडू और लक्ष्मी सहगल जैसी वीरांगनाओं ने देश की आजादी के बाद भी सेवा की। आज आप इस अध्याय में उन महिलाओं के बारे में सामान्य ज्ञान जानकारी प्राप्त करेंगे जिन्होंने भारत को आज़ाद कराने में प्रमुख भूमिका निभाई थी।
इतिहास गवाह है कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में जहां पुरुषों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, तो महिलाएं भी पीछे नहीं रहीं। महिलाओं ने समय-समय पर अपनी बहादुरी और साहस का प्रयोग कर पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिला कर चली। रानी लक्ष्मी बाई और रानी चेनम्मा जैसी वीरांगनाओं ने अंग्रेजों से लड़ते हुए अपनी जान दे दी। तो सरोजिनी नायडू और लक्ष्मी सहगल जैसी वीरांगनाओं ने देश की आजादी के बाद भी सेवा की। आज आप इस अध्याय में उन महिलाओं के बारे में सामान्य ज्ञान जानकारी प्राप्त करेंगे जिन्होंने भारत को आज़ाद कराने में प्रमुख भूमिका निभाई थी।
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भारत के स्वतंत्रता संग्राम में स्त्रियों ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है सन 1857 में झांसी की रानी बेगम बेगम हजरत महल ने अंग्रेजी शासन के खिलाफ आवाज उठाईI उसके पश्चात गांधी जी के आगमन के बाद स्वतंत्रता संग्राम में स्त्रियों का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है, जैसे कि स्त्रियों ने दांडी मार्च और असहयोग आंदोलन में बढ़-चढ़कर भाग लियाI कुछ स्त्रियां जैसे एनी बेसेंट और सरोजिनी नायडू आदि ने कुछ संगठनों और कांग्रेस की अध्यक्षता संभाल ली और स्त्रियों को स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए प्रेरित किया I
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