Swatantrata Diwas par nibandh
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इस दिन को राष्ट्रीय अवकाश के रुप में घोषित किया गया साथ ही सभी स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय तथा कार्यालय आदि भी बंद रहते है। इसे सभी स्कूल, कॉलेज और शिक्षण संस्थानों के विद्यार्थीयों द्वारा पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है। विद्यार्थी इसमें खेल, कला तथा साहित्य के माध्यम से भाग लेते है। इन कार्यक्रमों के आरंभ से पहले मुख्य अतिथि अथवा प्रधानाचार्य द्वारा झंडारोहण किया जाता है जिसमें सभी मिलकर एक साथ बाँसुरी और ड्रम की धुन पर राष्ट्रगान करते है और उसके बाद परेड और विभिन्न कार्यक्रमों द्वारा इस दिन को खास बनाया जाता है।
स्वतंत्रता दिवस के इस खास मौके पर भारत की राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली के राजपथ पर भारत सरकार द्वारा इस दिन को एक उत्सव का रुप दिया जाता है जहाँ सभी धर्म, संस्कृति और परंपरा के लोग भारत के प्रधानमंत्री की देशभक्ती से पू्र्ण भाषण सुनते है। इस अवसर पर हम लोग उन सभी महान व्यक्तिव को याद करते है जिनके बलिदान की वजह से हम सभी आजाद भारत में सांस ले रहे हैं। plz mark as brainliest answer!!
स्वतंत्रता दिवस
भारत का इतिहास बहुत पुराना है। इस देश ने कई सभ्यताओं का विकास और पतन देखा है। इस देश पर कई विदेशियों ने लूटमार करके अपने राज्य स्थापित किए। भारत के प्राचीन वैभव और संपन्नता को नष्ट करने में विदेशी आक्रमणकारियों ने कोई गतिविधियां न रखीं। अपनी मातृभूमि की स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए भारतीय जनता निरंतर प्रयासरत रही है। समय - समय पर संघर्ष होते रहे। आक्रांत शासक आतंक और शोषण द्वारा अपना प्रभाव बनाए रखने में सफल रहे
भारत पर तीन सौ वर्षों से अधिक आक्रांत मुगल शासकों ने अपनी शक्ति और अत्याचारों से शासन जमा रखा। इसके पश्चात अंग्रेज़ व्यापारी बनकर आए और बड़ी चालकी से आपसी फूट का लाभ उठाकर और लुटे - पिटे भारत के जन - जीवन को मरहम लगाने का जाल फैलाकर राज्य किया। इसके दौरान भी अपनी मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिए बलिदान देने की भावना की ज्योति निरंतर जलती रही, जिसके परिणामस्वरूप विमानन बलिदान इस पवित्र देश की स्वतंत्रता पर हुआ। कई देश - भक्त वीरों ने अपने प्राण गँवाए, यातानाएँ सहन की और अपनी भरी हुई जवानी जेलों के सींखनिक के पीछे काट दी। उन्होंने कहा कि सब कुछ इसलिए किया की ―
पाराहिन दुख महा सुखी जगत स्वाधीन। सुख बसत शुक वन विषै कनक पीजरे दीन ।।
स्वाधीनता की इसी भावना के कारण असहयोग आंदोलन, सत्याग्रह, स्वदेशी का प्रयोग, नमक आंदोलन, किसानों का जागरण, मज़ूरों का योगदान, छात्रों और सरकारी कर्मचारियों का अंग्रेजी सत्ता को उखाड़ने का प्रयास सभी कुछ देश के कोने - कोने से उठा और अंग्रेजों ने बौखलाकर देश के सच्चे स्वाभिमानी लोगों को तोड़नेने की पूरी कोशिश की, फिर भी स्वतंत्रता की माँग रुकी नहीं ।
द्वितीय महायुद्ध के समय अंग्रेजों की शासन शक्ति दुर्बल हुई। दूसरी ओर भारत की ललकार प्रबल रूप में एक महती शक्ति का परिचय दे रही थी। फल फॉर्म क्लीचर एटली ने भारत को स्वतंत्र करने का फ़ैसला किया। साथ ही अंग्रेज़ अपनी कूटनीति से बाज नहीं आए और उन्होंने भारत का विभाजन करवाने का षड्यंत्र रच लिया, जिससे देश में सांप्रदायिक सामुदायिक झगड़े हों और अंग्रेज़ फिर आपसी फूट बंदर - बाँट का स्वाँग रचकर भारत को गुलाम बनाए रखें; किंतु ईश्वर की इच्छा अब भारत के भाग्य को पलटने और गौरव को बढ़ाने की थी। अतः अंग्रेज़ मुक्ति को रोकने में तो असफल रहे, लेकिन जाते - जाते देश को दो भागों में विभक्त कर गए।
पंद्रह अगस्त सन 1947 का दिन भारत के इतिहास में सुपनाक्षरों में लिखा है, क्योंकि इसी दिन हमारे गौरव की पुनः स्थापना हुई। देश में अपनी सरकार बनी और अपनी तिरंगा लालकिले पर फहराया गया। प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने देश की राजधानी दिल्ली के इंडिया गेट पर देश की जनता को संबोधित करते हुए कहा, अब हम आज़ाद हैं और अपनी आज़ादी को कायम रखेंगे। "यह सुनकर सभी आकाश प्रसन्नता और उल्लास से भरे नारों से गूंज उठा। यह राष्ट्रीय दिवस जीवन में चेतना और जागरण लाने और उन्नति की ओर अग्रसर होने का दिन बन गया। तभी से हम प्रतिवर्ष इस दिन को पूरे देश में अपराजित उत्साह और उमंग के रूप में देखते हैं। के साथ मनाते हैं।
स्वतंत्रता दिवस का यह उत्सव पूरे भारत के नगर - नगर और ग्राम - ग्राम में उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस अवसर पर सरकारी संस्थाओं, घरों, विद्यालयों और घरों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है। प्रभात फेरियाँ निकलती हैं। सभाएँ आयोजित की जाती हैं। देश - भक्ति और वीरता के गीत गाए जाते हैं।
भारत की राजधानी नई दिल्ली में इस उत्सव को विशेष उत्साह और हर्ष के साथ मनाया जाता है। देश के प्रधानमंत्री लालकिले की प्राचीर पर ध्वजारोहण करते हैं और देश की जनता। को स्वतंत्रता दिवस का संदेश देते हैं।
यह उत्सव हमें नया उत्साह और नई प्रेरणा देता है। यह हमें राष्ट्र के प्रति हमारे स्लावों का स्मरण उपायों है और हमें देश को समृद्ध बनाने और स्वतंत्रता को सुरक्षित रखने की प्रेरणा देता है।