Hindi, asked by rizzubaig8129, 3 months ago

Swatantrata ke samay desh ko kin kin Pramukh chunautiyon ka Samna karna pada

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Answered by khusreentaj786
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Answer:

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Answered by madeducators4
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स्वतंत्रता के समय की चुनौतियां |

Explanation:

  • स्वतंत्रता उपरांत भारत के समक्ष कई चुनौतियाँ विद्यमान थीं, जिनमें तीन प्रमुख चुनौतियाँ थीं- देश का एकीकरण, लोकतांत्रिक व्यवस्था को कायम करना और समावेशी विकास। इनमें देश के एकीकरण को प्राथमिकता प्रदान की गई लेकिन समस्या यह थी कि देश में विद्यमान देशी रियासतों का एकीकरण कैसे किया जाए? उस समय कुल रजवाड़ों की संख्या 565 थी और इनमें से कुछ भारत संघ में शामिल होना नहीं चाहते थे।
  • उपरोक्त चुनौतियों को देखते हुए नेहरू द्वारा रजवाड़ों को भारत संघ में मिलाने की ज़िम्मेदारी सरदार पटेल को दी गई। पटेल ने महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करते हुए उन सभी रजवाड़ों, जिनकी सीमाएँ आज़ाद हिन्दुस्तान से मिलती थीं, को शांतिपूर्ण बातचीत के ज़रिये भारत संघ में शामिल कर लिया। किंतु जूनागढ़, हैदराबाद, कश्मीर और मणिपुर की रियासतों को भारत में शामिल करने में कठिनाई का सामना करना पड़ा। पटेल द्वारा रणनीतिक कौशल का परिचय देते हुए हैदराबाद को सैन्य कार्रवाई, जूनागढ़ को जनमत संग्रह तथा नेहरू द्वारा कश्मीर व मणिपुर को विलय पत्र के माध्यम से भारत संघ में शामिल कर लिया गया।
  • रियासतों के विलय के बाद भी राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई थी तथा आंतरिक सीमाओं को तय किया जाना अभी भी बाकी था। नेहरू राष्ट्र का सीमांकन इस तरह से करना चाह रहे थे ताकि देश की भाषायी व सांस्कृतिक बहुलता की झलक मिले और साथ ही राष्ट्रीय एकता भी खंडित न हो। ऐसे में भाषा के आधार पर राज्यों का गठन सुनिश्चित किया गया और आंध्र प्रदेश का एक नए राज्य के रूप में गठन किया गया। इसके बाद 1956 में राज्य पुनर्गठन अधिनियम के माध्यम से 14 राज्य और 6 केंद्रशासित प्रदेशों का गठन किया गया।
  • राष्ट्र के एकीकरण को सुनिश्चित करने के पश्चात् दूसरी सबसे बड़ी चुनौती थी लोकतांत्रिक प्रक्रिया की स्थापना करना। संविधान को 26 जनवरी, 1950 से ही अमल में लाया जा चुका था। देश का शासन लोकतांत्रिक सरकार द्वारा चलाए जाने का निर्णय लिया गया और 1950 में चुनाव आयोग का गठन किया गया। तत्पश्चात् देश के आकार को देखते हुए चुनाव क्षेत्रों का सीमांकन, मताधिकार प्राप्त वयस्क व्यक्तियों की सूची निर्मित करने, आदि जैसे कार्य किये गए और पूरी लोकतांत्रिक प्रक्रिया से चुनाव कराए गए तथा देश में लोकतंत्र की एक मज़बूत नींव रखी गई, जिसके चलते आज भी वैश्विक स्तर पर भारतीय लोकतंत्र एक मिशाल के तौर पर विद्यमान है।
  • इस प्रकार पं. नेहरू व सरदार पटेल का देश के एकीकरण व इसे लोकतंात्रिक स्वरूप प्रदान करने में सराहनीय योगदान रहा है।
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