Swatantrata pukarti he kavita ka kendriya bhav
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स्वतंत्रता पुकारती कविता में जयशंकर प्रसाद संपूर्ण देश में जातिवाद, प्रांतीयतावाद आदि से अनेकानेक समस्याएँ के बारे में चर्चा कर रहे है । इस संदर्भ में प्रसाद जी राष्ट्र की अनिवार्यता को ही व्यंजित करते हैं। 'प्रसाद जी ने नारी पात्रों के माध्यम से राष्ट्रीय-भावना को आर्य-संस्कृति की ठोस जमीन पर प्रस्तुत किया है।
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