Hindi, asked by Timon1, 1 year ago

Swatantrata sangram mein bhagat singh ka yogdaan essay in hindi ! plz help ! urgent !

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Answered by BrainlyQueen01
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भगत सिंह सबसे प्रभावशाली समाजवादी क्रांतिकारियों में से एक थे। ब्रिटिश सरकार के खिलाफ हिंसा के दो कृत्यों और उसके परिणामस्वरूप उनको मिला मृत्युदंड के कारण उनको हर घर में पहचाना जाने लगा। भगत सिंह का जन्म 1907 में पंजाब के बंगा गांव में किशन सिंह और विद्यावती के घर में हुआ था। उनके परिवार के सदस्य सक्रीय रूप से स्वतंत्रता आंदोलनों में शामिल थे और वह भी बहुत जल्द स्वतंत्रता संग्राम का हिस्सा बन गए।

भगत सिंह निस्संदेह भारतीय स्वतंत्रता के इतिहास में सबसे प्रभावशाली क्रांतिकारियों में से एक है। उन्होंने न केवल जीवित रहते हुए स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भूमिका निभाई बल्कि अपनी मृत्यु के बाद भी कई अन्य युवाओं को इसमें शामिल होने के लिए प्रेरित किया।

भगत सिंह का परिवार

भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर, 1907 को पंजाब में एक जटसिख परिवार में हुआ था। उनके पिता किशन सिंह, दादा अर्जुन सिंह और चाचा अजीत सिंह भारतीय स्वतंत्रता के संघर्ष में सक्रिय रूप से शामिल थे। अपने परिवार के सदस्यों से वे बेहद प्रेरित हुए और देशभक्ति की भावना उनमें घर कर गई। ऐसा लग रहा था कि देशभक्ति उनकों रगों में दौड़ रही थी।

भगत सिंह का प्रारंभिक जीवन

भगत सिंह 1916 में जब 9 वर्ष के थे तो लाला लाजपत राय और रास बिहारी बोस जैसे राजनीतिक नेताओं से मिले। सिंह उनके द्वारा बहुत प्रेरित थे। 1919 में हुई जलियांवाला बाग हत्याकांड की वजह से भगत सिंह बेहद परेशान थे। नरसंहार के दिन के बाद भगत सिंह जलियांवाला बाग के पास गये और उस जगह से कुछ मिट्टी एकत्र कर एक स्मारिका के रूप में अपने पास रख ली। इस घटना ने ब्रिटिश शासन को देश से बाहर धकेलने के लिए उनकी इच्छा को मजबूत किया।

लाला लाजपत राय की हत्या का बदला लेने का उनका संकल्प

जलियांवाला बाग नरसंहार के बाद लाला लाजपत राय की मृत्यु की वजह से भगत सिंह को गहरा आघात पहुँचा। इस कारण वह ब्रिटिश क्रूरता को सहन नहीं कर सके और लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने का फैसला किया। इस दिशा में उनका पहला कदम ब्रिटिश अधिकारी सॉन्डर्स को मारना था। सॉन्डर्स की हत्या के बाद उन्होंने विधानसभा सत्र के दौरान केंद्रीय संसद में बम फेंका। इसके बाद उन्हें अपने कृत्यों के लिए गिरफ्तार कर लिया गया और अंततः 23 मार्च 1931 को भगत सिंह को राजगुरु और सुखदेव के साथ फांसी दे दी गई।

निष्कर्ष

भगत सिंह केवल 23 वर्ष के थे जब उन्होंने अपने आप को हँसते-हँसते देश के लिए कुर्बान कर दिया यह बात युवाओं के लिए प्रेरणा बन गई। उनकी वीरता की कहानियाँ आज भी युवाओं को प्रेरित करती हैं।



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