Hindi, asked by savitasingh626736026, 6 months ago

Swavlamban par anuchhed

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Answered by sirkamleshkumar70
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स्वावलम्बन का अर्थ है- अपनी क्षमताओं और अपने प्रयत्नों पर आश्रित रहकर कार्य करना । यह गुण आने से व्यक्ति को दूसरों के सहारे की आवश्यकता नहीं रहती ।

स्वावलम्बन के लिए जड़ इच्छा शक्ति और कठोर परिश्रम की आवश्यकता होती है । स्वावलम्बन का पाठ किसी विद्यालय में नहीं पढ़ाया जाता और न ही यह किसी उपदेश से आता है । जीवन की आवश्यकताएं स्वावलम्बन की भावना को धीर-धीरे विकसित करती है ।

स्वावलम्बन मनुष्य को यथार्थवादी और आशावादी बनाता है । वह प्रत्येक को अपनी कोशिशों से प्राप्त कर सफलता का सुखद अनुभव करता है । अपनी असफलताओं से शिक्षा लेकर पुन: सफलताओं के लिए नए-नए मार्ग खोजता है। स्वावलम्बी व्यक्ति धरती पर रहकर आकाश में उड़ने की चेष्टा करता है ।

स्वावलम्बन का अर्थ यह भी है कि अपने ऊपर विश्वास रखना । भाग्य के सहारे न बैठकर अपनी क्षमताओं का विकास करना । कहावत है कि बिना परिश्रम के शेर को भी अपना शिकार नहीं मिलता । कहा भी गया है:

उद्यमेन हि सिद्धन्ति कार्याणि न मनोरथै: । नहि सुप्तस्य सिंहस्य मुखे प्रविशन्ति मृगा: ।।

अर्थात् परिश्रम से ही सभी कार्य पूर्ण होते हैं मन की इच्छाओं से नहीं, क्योंकि सोये हुए शेर के मुंह में हिरण (शिकार) अपने आप नहीं चला जाता अर्थात् उसे शिकार प्राप्त करने के लिए परिश्रम करना पड़ता है । विश्व में जितने भी महापुरुष हुए वे सभी स्वावलम्बी थे और दूसरों के प्रेरणा स्रोत बने ।

अब्राहम लिंकन झोपड़ी से निकलकर अमेरिका के राष्ट्रपति बने, नेपोलियन एक निर्धन परिवार में पैदा हुआ जिसने फ्रांस पर ही नहीं आधे विश्व पर राज किया, एकलव्य अपने प्रयास से धनुर्विद्या का पण्डित बना, ईश्वरचन्द्र विद्यासागर निर्धन व्यक्ति से बंगाल का महान शिक्षा शास्त्री बन गया, लाल बहादुर शास्त्री निर्धानता की नदी पार कर भारत के प्रधानमंत्री बन गए ।

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