India Languages, asked by Kehkasha5538, 10 months ago

swayam adhyayan speech or nibandh in marathi

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Answered by preet073
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Answer:

मनुष्य को सुखमय जीवन व्यतीत करने के लिए कर्म करने की आवश्यकता पड़ती है । कर्मप्रधान व्यक्ति ही जीवन में वास्तविक सुख का आनंद प्राप्त कर सकता है । अकर्मण्यता मनुष्य को निराश और भाग्यवादी बनाती है ।

मनुष्य के कर्म अनेक प्रकार के होते हैं । कुछ कर्म तो वह अनिच्छापूर्वक बाध्यता के साथ करता है परंतु मनोयोग से किया गया कृत्य ही उसे सच्चा आनंद प्राप्त कराता है । इन समस्त क्रियाओं में अध्ययन सर्वश्रेष्ठ है । अध्ययनप्रिय व्यक्ति स्वयं को सदैव प्रसन्नचित्त अनुभव करता है ।

अध्ययन में मनुष्य की अभिरुचि सदैव उसे उत्थान की ओर ले जाती है । अध्ययन की महिमा अनंत है । किसी भी राष्ट्र अथवा देश के नागरिक जितना ही अध्ययन को महत्व देंगे वह राष्ट्र उतना ही प्रगतिशील होगा । समस्त विकसित देश, विकासशील देशों से इसलिए अग्रणी हैं क्योंकि उन्होंने प्रारंभ से ही अध्ययन को महत्व दिया । शिक्षा का उनका स्तर हमारी तुलना में कहीं अधिक ऊँचा है । अत: राष्ट्र का विकास तभी संभव है जब वह देश में अध्ययन को महत्व देता है ।

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