Hindi, asked by dakshagrawal777, 4 months ago

Swayam Par vishwas essay in Hindi in 100 words.​

Answers

Answered by km9893719
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Answer:

आत्म विश्वास की उत्पति- कुछ लोगों में आत्म विश्वास बचपन से ही होता है जबकि कुछ लोगों में आत्म विश्वास समय के साथ उत्पन्न होता है। माता पिता को चाहिए कि वह बच्चों को हमेशा प्रोत्साहित करे और उनके आत्म विश्वास को बढ़ाए। स्कूल में अध्यापक भी बच्चों को विभिन्न गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करते हैं और उन्हें उनके हूनर के बारे में बता उस क्षेत्र में उनका अत्मविश्वास बढ़ाते हैं। व्यक्ति को खुद भी किसी भी कार्य को करने के लिए अपने उपर विश्वास करना चाहिए और दृढ़ इच्छा शक्ति रखनी चाहिए।

सफलता- जिस व्यक्ति में आत्म विश्वास होता है सफलता उस व्यक्ति के कदम चुमती है। हर क्षेत्र में लोग उसी व्यक्ति को पसंद करते है जो विश्वास से भरा हो और दिए हुए कार्य को करने में सक्षम हो और अपनी बात लोगों को आसानी से समझा सके। जिस व्यक्ति में आत्म विश्वास होता है वह अकेला ही सौ के बराबर होता है। इतिहास में बहुत से ऐसे व्यक्ति हुए है जिन्होंने अपनी मेहनत और आत्म विश्वास को बल पर ही सफलता को प्राप्त किया है।

निष्कर्ष- आत्म विश्वास प्रत्येक व्यक्ति के लिए बहुत आवश्यक है। आत्मविश्वास की उत्पति दृढ़ संकल्प से होती है। किसी भी व्यक्ति को चाहिए कि यदि वह कोई भी कार्य करने की ठान लेता है तो उसे खुद पर यकीन रखना चाहिए कि वह उसे सही तरीके से पूर्ण भी कर लेगा। व्यक्ति को किसी भी परिस्थिति में अपना आत्म विश्वास नहीं खोना चाहिए। आत्म विश्वास सफलता की चाबी है जिसे हर व्यक्ति के पास होना चाहिए।

Answered by monikarana9009
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Explanation:

संस्कूत में कहा गया है कि मत ही मनुष्य के बंधन और मोक्ष का कारण है ‘मन एंव मनुष्याणां कारण बंधा न मोक्ष्यों।’ मन की स्थिति अत्यंत महत्वपूर्ण है। मन ही व्यक्ति को सांसारिक बंधनों से बांधता है, मन ही उसे अन बंधनों से छुटकारा दिलाता है। मन ही मन उसे अनेक प्रकार की बुराईयों की ओर प्रवृत्त करता है, तो मन ही उसे अज्ञान से ज्ञान की ओर अंधकार से प्रकार की ओर ले जाता है। भाव यह है कि मन चाहे तो क्या नहीं कर सकता। इसलिए एक विचारक ने कहा है-

‘जिसने मन को जीत लिया

बस उसने जीत लिया संसार’

सृष्टि के अन्य चराचरों का केवल कानव के पास ही मन की शक्ति है। अन्य प्राणियों के पास नहीं। मन के कारण ही इच्छा-अनिच्छा, संकल्प-विकल्प, अपेक्षा-उपेक्षा आदि भावनांए जन्म लेती हैं। मन में मनन करने की क्षमता है इसी कारण मनुष्य को चिंतनशील प्राणी कहा गया है। संकल्पशील रहने पर व्यक्ति कठित से कठिन अवस्था में भी पराजय स्वीकार नहीं करता, तो इसके टूट जाने पर छोटी विपत्ति में भी निराश होकर बैठ जाता है। इसलिए कहा है-

‘दुख-सुख सब कहँ परत है, पौरूष तजहू न मीत।

मन के हारे हार है मन के जीते जीत।।’

अर्थात दुख और सुख तो सभी पर पड़ते हैं इसलिए अपना पौरूष मत छोड़ों क्योंकि हार-जीत तो केवल मन के मानने अथवा न मानने पर ही निर्भर होती है।

ऐसे अनेक उदाहरण हमारे समक्ष हैं जिनमें मन की शक्ति केवल व्यक्ति ने असंभव को संभव कर दिखाया, और पराजय को जीत में बदल दिया। अकबर की विशाल सेना भी केवल मन की शक्ति के बल पर महाराणा प्रताप ने उसकी सेना को नाकों चने चबवा दिए। शिवाजी अपने थोड़ें से सैनिकों के साथ मन की शक्ति के सहारे ही तो औरंगजेब से लोहा ले सके। मन की शक्ति के बल पर ही कमजोर दिखने वाले गांधी अंग्रेजों को भारत से निकालने में सक्षम हुए। इसी शक्ति के बल द्वितीय विश्व युछ में बदबार जापान पुन: उठ खड़ा हुआ और कुछ ही समय में पुन: उन्नत राष्ट्रों की श्रेणी में आ गया। इसी प्रकार के अनेक उदाहरण दिए जा सकते हैं।

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