T013 कृषि साख से आशय से समझाइये ।
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कृषि वित्त एवं कृषि साख से तात्पर्य उस वित्त (साख) से होता है जिसका उपयोग कृषि से संबंधित विभिन्न कार्यों को पूरा करने के लिए होता है। कृषि वित्त की आवश्यकता सामान्यत: भूमि पर स्थायी सुधार करने, बीज, खाद, कीटनाशक, कृषि यंत्रा पर क्रय करने, सिंचाई की व्यवस्था करने, मालगुजारी देन, विपणन से सम्बद्ध कार्य अथवा कृषि से संबंधित अन्य किसी कार्य के लिए हो सकती है।
कृषि वित्त या साख की आवश्यकता
कृषि वित्त या साख की आवश्यकता भारत में कृषकों को विभिन्न उद्देश्यों एवं कालावधियों के लिए वित्त, साख या ऋण की आवश्यकता पड़ती है। कृषि वित्त की आवश्यकता को उद्देश्यों को समयानुसार निम्नलिखित भागों में बाँटा जाता है
उत्पादन ऋण (Productive Loan)- वो ऋण जो कि कृषि की विभिन्न क्रियाएँ जैसे- खाद, बीज, यंत्रा खरीदने व लगवाने, सिंचाई, भूमि पर स्थायी सुधार करने तथा वैज्ञानिक ढंग से खेती करने के हेतु लिए जाते हैं। इस तरह के ऋणों से उत्पादक और आय में वृद्धि होती है।
उपभोग ऋण (Consumption Loan): ये ऋण फसल की बिजाई और बिक्री के बीच के समय कृषि को अपने परिवार के उपभोग संबंधित आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए ऋण की आवश्यकता पड़ती है जिसे प्राय: फसल की बिक्री के बाद चुकता किया जाता है।
अनुत्पादक ऋण (Unproductive Loan): वो ऋण जो उत्पादक कार्यों में नहीं लगाए जाते बल्कि कुछ अन्य उद्देश्यों की पूर्ति के लिए प्रयोग में लाए जाते हैं जैसे मुकदमा लड़ना, आभूषण खरीदना, विवाह, जन्म, मृत्यु तथा अन्य सामाजिक, धार्मिक रीति-रिवाज के पालन के लिए, जिनका उत्पादन से संबंध नहीं होता और जिसमें उधार वापसी का प्रबंध स्वत: निहित नहीं होता।
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