Hindi, asked by kanakmore3027, 6 months ago

ति 3 : (सरल अर्थ)
उपर्युक्त पद्यांश की अंतिम चार पंक्तियों का सरल अर्थ 25 से 30 शब्दों में लिखिए।
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उत्तर:
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Answers

Answered by shishir303
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प्रश्न में दिये गये पद्यांश की अंतिम चार पंक्तियों का सरल अर्थ इस प्रकार होगा...

जाग रहा यह कौन धनुर्धर,

जब कि भुवन भर सोता है?

भोगी कुसुमायुध योगी-सा,

बना दृष्टिगत होता है॥

सरल अर्थ ➲ यह पंक्तियां कवि मैथिली शरण गुप्त द्वारा लिखी गई ‘पंचवटी’ नामक कविता से ली गई है। इन पंक्तियों में कभी मैथिलीशरण गुप्त कहते हैं कि पंचवटी की घनी छाया में एक सुंदर पत्तों की कुटिया बनी हुई है। उस कुटिया के सामने एक विशाल पत्थर के ऊपर एक धैर्यशाली, निर्भय और वीर पुरुष बैठा हुआ है। इस समय सारा संसार सो रहा है, परंतु यह वीर धनुषधारी पुरुष अभी भी जाग रहा है। यह वीर ऐसा प्रतीत हो रहा है, जैसे भोग-विलास करने वाला कामदेव वहाँ योगी बनकर आ बैठा हो।

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