तिब्बत के लोगों का बाहर से आने वाले यात्रियों के प्रति कैसा व्यवहार होता था
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तिब्बत के लोगों का बाहर से आने वाले यात्रियों के प्रति कैसा व्यवहार होता था :
यह प्रश्न ल्हासा की ओर पाठ से लिया गया है | पाठ में राहुल जी ने अपनी पहली तिब्बत यात्रा का वर्णन किया है |
तिब्बत का कानून व्यवस्था अच्छे दिन दयनीय थी , क्योंकि उस समय तिब्बत के पहाड़ों की यात्रा सुरक्षित नहीं थी। लोगों को डाकुओं का भय बना रहता था।
तिब्बत में यात्रियों के साथ अच्छा व्यावहार किया जाता था | वहाँ आतिथ्य सत्कार अच्छी तरह से किया जाता था।
तिब्बत के समाज में छुआछूत, जाति-पाँति आदि कुप्रथाएँ नहीं थी। सारे प्रबंध की देखभाल कोई भिक्षु करता था। वह भिक्षु जागीर के लोगों में राजा के समान सम्मान पाता था। उस समय तिब्बती की औरतें परदा नहीं करती थी। घर आए हुए मेहमानों को चाय पिलाई जाती थी |
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