२१. "ति ब्बत मेंयात्रि यों के लि ए बह ु त सी तकलीफें भी हैऔर क ु छ आराम की बातेंभी" लेखक राह ु ल सांक ृत्यायन के अनसु ार सन्1929-30 मेंति ब्बत मेंयात्रि यों को कौन सी तकलीफ नहीं थी - (अ) मार्ग पहाड़ी, दर्ग ु मर्ग और सन ु सान था (ब) लोग लाठी की तरह पि स्तौल, बदं कू लि ए फि रतेथे (स) ति ब्बती लोगों के पास धन का अभाव था (द) डांडों की ऊं चाई सोलह- सत्रह हजार फीट होनेके कारण उनके दोनों तरफ कोई गांव नहीं होते
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भारवाहक लेखक को यात्रा के दौरान मिला मंगोल भिक्षु जिसका नाम लोब्जङ शेख था। इसका अर्थ है सुमति प्रज्ञ
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