तांबे के कीड़े नाटक की विशेषताओं पर विस्तार पूर्वक चर्चा करें
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'ताँबे के कीड़े' में न कोई कथा है और न मंच विधान। मंच के नाम पर काला परदा और झुनझुना लिए हुए अनाउंसर स्त्री है। यह नाटक अजीब, शिथिल और गतिहीन लग सकता है। लेकिन एक बार नाटक का सूत्र हाथ में आने के बाद नाटक के अर्थ और प्रभाव से पाठक (और दर्शक) अछूता नहीं रहता।
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तांबे के कीड़े नाटक की विशेषताये
ताँबे के कीड़े' में न कोई कथा है और न मंच विधान। मंच के नाम पर काला परदा और झुनझुना लिए हुए अनाउंसर स्त्री है। यह नाटक अजीब, शिथिल और गतिहीन लग सकता है। लेकिन एक बार नाटक का सूत्र हाथ में आने के बाद नाटक के अर्थ और प्रभाव से पाठक (और दर्शक) अछूता नहीं रहता। इस एकांकी नाटक में कोई गंभीर कथानक नहीं है । पात्रों की आपसी बातचीत में ही . नाटक विकसित होता है । बातचीत में भी कोई तारतम्य नहीं प्रतीत होता । नाटककार का विरोध आधुनिक जीवन की बंधी हुई पद्धति से है ।
#SPJ2