तूफान उठ रहा है, प्रलयाग्लि जल रही है।
हम प्राण होम देगें, हसते हुए जलेगे। पीछे नहीं टलेगें, आगे बढ़े चलेगें।।
नस एक भी फड़कती होगी समस्त तन में ।
यदि एक भी रहेगी बाकी तरंग मन में ।
हर एक सांस पर हम आगे बढ़े चलेंगे।।
कविता कि इन पंक्तियो का सप्रसंग भावर्था लिखिये
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हम प्राण होम देगें, हसते हुए जलेगे। पीछे नहीं टलेगें, आगे बढ़े चलेगें।। नस एक भी फड़कती होगी समस्त तन में ।
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