Hindi, asked by rubyrkh, 4 days ago

तिगरी मेला का एस्से 1 मिनट का​

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Answered by 10ayushranjan
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अमरोहा में जहां तिगरी गंगा के किनारे आस्था की बयार बह रही है तो दूसरी तरफ विदेशी पक्षियों ने मां गंगा के आंचल में डूबकी लगाकर सुंदरता में चार चांद लगा दिए हैं। पक्षियों की अठखेलियाें से माहौल आलौकिक लग रहा है। जिससे श्रद्धालुओं में भी गजब का उत्साह देखने को मिल रहा है। इन दिनों ब्रजघाट व तिगरी गंगा में मेहमान पक्षियों का बसेरा है।

साइबेरिया की ठंडी जलवायु से बचने के लिए वहां के पक्षी प्राय हर वर्ष नवंबर माह के प्रथम सप्ताह में ही घाटों पर दिखाई देने लगते हैं। इन्हें मैदानी भाग की जलवायु काफी पसंद है। यही कारण है कि यह कई किमी तक गंगा के किनारे को अपना बसेरा बनाए हुए हैं। दूर देश से आए इन मेहमान पक्षियों की खातिरदारी में यहां के नागरिक कोई कोर कसर नहीं छोड़ते। सुबह सूर्य की पहली किरण के साथ पेड़-पौधों के झुरमुट से निकल कर आए पक्षी घाटों पर अठखेलियां करने लगते हैं। गंगा की लहरों पर विचरण करते पक्षी दर्शकों को खूब लुभाते हैं। गंगा घाट पर नियमित स्नान करने वाले स्त्री पुरुष अपने घर से लाई, नमकीन, सेव, कचरी एवं अन्य खाद्य पदार्थ आवाज देकर गंगा की लहरों में जब डालते हैं तो मेहमान पक्षियों का झुंड गंगा की लहरों से इन्हें चुगता है। इस दृश्य को कैमरे में कैद करने वाले लोग भी इन पक्षियों को दाना डालते रहते हैं। खास बात है कि वर्तमान के दिनों में तिगरीधाम व गढ़ में गंगा किनारे पर मेला लगा हुआ है। हर ओर आस्था बह रही है। ऐसे माहाैल में इन विदेशी परिंदों की दस्तक ने नजारा और भी खूबसूरत बना दिया है। श्रद्धालु पूरे उत्साह के साथ उनकी सेवा में जुटे हैं।

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