तू हिमालय नहीं , तूने गंगा जमुना।
तू त्रिवेणी नहीं , तूने रामेश्वरम
तू महाशिव है अमर कल्पना
देश |मेरे लिए तू परम वंदना ।
मैंघ करते नमन , सिंधु गोदावरी ।
है कराती युगो से तुझे आसमान
(1) प्रस्तुत कविता का शीर्षक क्या है ?
(2) परम वंदन कौन है?
(3) कविता का अर्थ लिखिए?
(ख)
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तू हिमालय नहीं , तूने गंगा जमुना।
तू त्रिवेणी नहीं , तूने रामेश्वरम
तू महाशिव है अमर कल्पना
देश |मेरे लिए तू परम वंदना ।
मैंघ करते नमन , सिंधु गोदावरी ।
है कराती युगो से तुझे आसमान
(1) प्रस्तुत कविता का शीर्षक क्या है ?
उत्तर : कविता की पंक्तियाँ अपठित काव्यांश-बोध से ली गई है | प्रस्तुत कविता का शीर्षक है, भारत देश की महानता |
(2) परम वंदन कौन है?
उत्तर : भारत देश मेरे लिए परम वंदन है , भारत ने सदा सृष्टि के परम तत्व की खोज की है।
(3) कविता का अर्थ लिखिए?
उत्तर : कविता में कवि कहते है कि भारत देश मेरे लिए ‘महाशील की अमर कल्पना है। भारत देश मेरे लिए परम वंदन है | भारत मेंकरुणा, प्रेम, दया, शांति जैसे महान आचरण वाले धर्मात्मा है , इनके कारण भारत चरित्र उज्ज्वल बना हुआ है।
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