तैं ही पूत अनोखौ जायौ'- पंक्तियों में ग्वालन के मन के कौन-से भाव मुखरित हो रहे हैं?
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तैं ही पूत अनोखौ जायौ'- पंक्तियों में ग्वालिन मैं यशोदा मां पर कटाक्ष किया है कि उन्होंने कोई अनोखा पुत्र नहीं जन्मा है। वह भी दूसरे बच्चों के समान हैं। लेकिन फिर भी उनका बेटा कृष्ण माखन की चोरी करता है। गोकुल के सभी घरों में उसने माखन की चोरी की है। इसलिए यशोदा ! तुम अपने बेटे को समझाओ ।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।
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'तैं ही पूत अनोखी जायौ' - पंक्तियों में ग्वालन के मन में यशोदा के लिए कृष्ण जैसा पुत्र पाने पर ईर्ष्या की भावना व कृष्ण के उनका माखन चुराने पर क्रोध के भाव मुखरित हो रहे हैं। वह इस पंक्ति में यशोदा माता को उलाहना भी दे रही हैंI
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