टिहरी की ठकुराइन जो माटी वाली की ग्राहक थी, ने अपने पूर्वजों की विरासत को किस प्रकार सहेजकर रखा था? सप्रमाण स्पष्ट कीजिए।
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कभी-कभी कोई महिला रोटी के साथ कुछ साग आदि देकर अपनी सहानुभूति तथा दया प्रकट कर दिया करती थी।
माटी वाली की ग्राहक टिहरी की ठकुराइन को पूर्वजों की विरासत से विशेष लगाव था। वे उनकी विरासत की प्रत्येक वस्तु को बहुत सँभालकर रखती थी। आम मनुष्य पूर्वजों की वस्तुओं को कबाड़ या पुराने फैशन की कहकर उन्हें कबाड़ी के हाथों औने-पौने दामों में बेच देता है, पर इसके विपरीत ठकुराइन ने पूर्वजों की विरासत भले ही वह पीतल का साधारण गिलास ही क्यों न हो सँभाल रखा है। वे उसे पुरखों की गाढ़ी कमाई से अर्जित किया हुआ मानती है, जिसमें पुरखों की मेहनत और यादें समाई हैं।
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