"तू जा, नहीं तो मैं ही यह घर छोड़कर चल दूंगा" यह दलील किसकी है?
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प्रिय था। आषाढ़ के दिनों में जब समूचा गाँव खेतों में उतर पड़ता, तब लेकिन भगत का निर्णय अटल था। वे बोले कि यदि तू नहीं जाएगी, तो बालगोबिन पूरा शरीर कीचड़ में लपेटे खेत में रोपनी करते हुए अपने मधुर मैं घर छोड़कर चला जाऊँगा। इस दलील के आगे पतोहू की न चली।
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यह दलील बालगोबिन भगत की है।
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