तेजगति से दोपहिया वाहन चालने से होनेवाली सड़क दुर्घटना ओ पर चिता करते। हुए दो। अभिभावकों की बातचीत का। संवाद। लेखन -
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भारत की सड़कों पर तेज रफ्तार और नशे की हालत में ड्राइविंग से हरेक दिन निर्दोष लोग काल के मुंह में समा रहे हैं। इसके पीछे सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के ‘स्पीड गर्वनर’ लगाने के आदेशों पर अमल न हो पाना मुख्य कारण है। सड़क दुर्घटनाओं पर हालिया सर्वे से यह भी पता चला है कि राजमार्गों पर होने वाली दुर्घटनाओं में 40 से 50 फीसद मौतें व्यावसायिक वाहनों के तेज रफ्तार से चलने से होती हैं। भारत की 20 करोड़ की आबादी पर एक करोड़ 80 लाख लोगों की मौत व्यावसायिक वाहनों की चपेट में आने से हो रही है। केंद्रीय मंत्री गोपीनाथ मुंडे की मौत, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मन की बात’ और आमिर खान के ‘सत्यमेव जयते’ कार्यक्रम ने सड़क परिवहन मंत्रालय को इस तरह की असमय मौतों पर सोचने को विवश तो किया पर जब तक आदेशों पर ठोस कार्रवाई, प्रवर्तन की सख्ती और स्पीड गर्वनर पर राज्य सरकारें पूरी तरह खड़ी नहीं होगीं ऐसे ही असमय लोगों की मौत होती रहेगी। मेट्रो शहरों में चेन्नई के बाद दिल्ली दूसरे नंबर पर सड़क दुर्घटनाओं में है।