ताजमहल के इतिहास पर नजर डालिए|
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इसी तरह बुखारा शहर से कारीगर को बुलवाया गया था, वह संगमरमर के पत्थर पर फूलों को तराशने में दक्ष था। वहीं गुंबदों का निर्माण करने के लिए तुर्की के इस्तम्बुल में रहने वाले दक्ष कारीगर को बुलाया गया और मिनारों का निर्माण करने के लिए समरकंद से दक्ष कारीगर को बुलवाया गया था। और इस तरह अलग-अलग जगह से आए करीगरों ने ताजमहल बनाया था। ई. 1630 में शुरू हुआ ताजमहल के बनने के काम करीब 22 साल तक चला। इसे बनाने में करीब 20 हजार मजदूरों ने योगदान दिया। यमुना नदी के किनारे सफेद पत्थरों से निर्मित अलौकिक सुंदरता की तस्वीर 'ताजमहल' आज ना केवल भारत में, बल्कि पूरे विश्व में अपनी पहचान बना चुका है। प्यार की इस निशानी को देखने के लिए दूर देशों से हजारों सैलानी यहां आते हैं।
ताजमहल 1632 में मुगल सम्राट शाहजहां द्वारा अपनी प्यारी पत्नी मुमताजमहल की मृत्यु उपरांत निर्माण किया गया विशाल मकबरा परिसर है। इसका निर्माण भारत के उत्तरप्रदेश स्थित आगरा शहर में यमुना नदी के दक्षिणी तट पर किया गया है | यह मुगल वास्तुकला के सबसे उत्कृष्ट उदाहरणों में से एक है | 1983 में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर स्थल के रूप मे नामित किया | यह विश्व की प्रसिद्ध संरचनाओं में से एक है तथा इसे भारत के समृद्ध इतिहास की एक अद्भुत एवं अद्वितीय प्रेम निशानी माना गया है ।
शाहजहाँ ने 16वीं सदी के मध्य से 18वीं शताब्दी के मध्य तक उत्तरी भारत का अधिकांश शासन किया था। उसने अपनी प्रिय पत्नी अर्जुनंद बानू बेगम, जिसे मुमताज महल भी कहा जाता है, के साथ 1612 में विवाह किया था | 1631 में मुमताज महल की मृत्यु हो गई । इससे दुखी शाहजहां ने ताजमहल के निर्माण कार्य को 1632 के आसपास प्रारंभ करवाया |