"तुझे मिली हरियाली डाली.
मुझे नसीब कोठरी काली
तेरा नभ भर में संचार
मेरा दस फुट का संसार
तेरे गीत कहावे वाह.
रोना भी है मुझे गुनाह
देख विषमता तेरी मेरी,
बजा रही तिस पर रण -मेरी।
इस हुंकृति पर
अपनी कृति से और कहो क्या कर दूं
मोहन के व्रत पर,
प्राणों का आसव किसमें भर दूं।
कोकिल बोलो तो।
(क.) उक्त पद्यांश का शीर्षक लिखिए।
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"कैदी और कोकीला" ये सही शीर्षक है|
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तुझे मिली हरियाली डाली.
मुझे नसीब कोठरी काली
तेरा नभ भर में संचारमेरा
दस फुट का संसार
तेरे गीत कहावे वाह.
रोना भी है मुझे गुनाह
देख विषमता तेरी मेरी,
बजा रही तिस पर रण -मेरी।
इस हुंकृति पर
अपनी कृति से और कहो क्या कर दूं
मोहन के व्रत पर,प्राणों का आसव किसमें भर दूं।कोकिल बोलो तो।
(क.) उपुर्युक्त पद्यांश का शीर्षक लिखिए।
दिए गए पद्यांश का शीर्षक है " कैदी और कोकिला "।
- दिया गया पद्यांश माखन लाल चतुर्वेदी जी की रचना है।
- इस पद्यांश के आधार पर कवि स्वयं की कोकिला से समानता दर्शाते हुए बताते है कि कोयल और कैदी दोनो ही अंग्रेजों द्वारा किए गए अत्याचारों से दुखी है।
- कोयल की हुंक वेदना से भरी हुई है तथा कवि का दर्द उसकी रचनाओं में छुपा है। कवि अपनी कलम से लोगों ने जोश का संचार कर रहा है तथा कोयल आजादी का संदेश दे रही है।
- कवि ने कोयल और कैदी के बीच अंतर को भी स्पष्ट किया है कि कैदी तो दस फुट की जेल की कोठरी में बैठा है परन्तु कोयल हरी भरी डालियों पर उछल रही है।आगे कवि कहते है कि कोकिला को तो गीत गाने पर वाह वाही मिल रही है परन्तु कवि का तो रोना भी गुनाह है।
- कोयल खुले आसमान में उड़ रही है परन्तु कवि का जीवन काल कोठरी में सिमट कर रह गया है।
#SPJ3
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