तुझे मिली हरियाली डाली,
मेरे नसीब कोठरी काली!
तेरा नभ - भर में संचार
मेरा दस फुट का संसार!
तेरा गीत कहावे वाह,
रोना भी है मुझे गुनाह!
देख विषमता तेरी- मेरी,
बजा रही तिस पर रणभेरी !
इस कृति से और कहो क्या कर दूं?
कोकिल बोलो तो!
मोहन के व्रत पर,
प्राणों का आसव किसमें भर दूँ!
कोकिल बोलो तो!
i.
ii.
कवि को किस से ईर्ष्या हो रही है?
कवि और कोयल के संसार में क्या अंतर है?
"नभ- भर में संचार" से कवि का क्या आशय है?
'मोहन के व्रत पर' पक्ति से क्या तात्पर्य है?
11.
iv.
Answers
Answer:
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Explanation:
ans no 1 ....कवि को कोयल से ईर्ष्या हो रही है इसका सबसे बड़ा कारण कोयल की स्वतंत्रता तथा कवि की पराधीनता है। ... वह पूरे आकाश में स्वतंत्र उड़ सकती है परन्तु कवि की दुनिया काल-कोठरी के अंधकारमय जीवन में सिमटकर रह गई है। कोयल गीत गाकर अपनी खुशी ज़ाहिर कर सकती है परन्तु कवि के लिए रोना भी गुनाह है जिसकी उसे सज़ा मिल सकती है।
ans 2....सबसे बड़ा अंतर कोयल की स्वतंत्रता तथा कवि की पराधीनता है। कवि अंग्रेज़ी सरकार की काल-कोठरी में कैद है परन्तु कोयल हरियाली डाली पर रहती है। वह पूरे आकाश में स्वतंत्र उड़ सकती है परन्तु कवि की दुनिया काल-कोठरी के अंधकारमय जीवन में सिमटकर रह गई है।
ans 3....आसमान में उड़ने से केवल स्वतंत्र रहने से खुले आकाश में स्वतंत्र विचरण से
ans4......मोहन के व्रत पर' पंक्ति से तात्पर्य है-मोहनदास करमचंद गाँधी (महात्मा गाँधी) का यह व्रत है कि मैं अहिंसा के बल पर देश को आजाद करा दूँगा।
Answer:
1) Navi ko kokila se
2) koyal azaad h ar Kavi bandi
3) Pure akash me koyal ka azaad hokar ghumna
4) Mahatma Gandhi ke raste pr