तुझमें कोटि-कोटि प्राणों के गुंफित हैं अरमान।
दिशि-दिशि में अवनि-अंबर पर,
तू अपनी आभा प्रसरित कर,
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देव्यपराधक्षमापनस्तोत्रम् आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा रचित सर्वश्रेष्ठ एवं कर्णप्रिय स्तुतियों में से एक है।
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