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कारण बताएँ
11. "मैंने उस कंपनी के हिस्सेदार की तरफ़ पहली बार श्रद्धाभाव से देखा।"
• लेखक के मन में हिस्सेदार साहब के लिए श्रद्धा क्यों जग गई?
12. “लोगों ने सलाह दी कि समझदार आदमी इस शाम वाली बस से सफ़र नहीं
करते।"
• लोगों ने यह सलाह क्यों दी?
3. "ऐसा जैसे सारी बस ही इंजन है और हम इंजन के भीतर बैठे हैं।"
• लेखक को ऐसा क्यों लगा?
4. “गज़ब हो गया। ऐसी बस अपने आप चलती है।"
• लेखक को यह सुनकर हैरानी क्यों हुई?
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लेखक के मन में हिस्सेदार साहब के लिए अपार श्रद्धा जग गई इसका यही कारण था कि बस के टायरों की हालत का पूरी तरह से ज्ञान होने पर भी हिस्सेदार साहब अपनी जान हथेली पर रखकर उस बस में सफर कर रहे थे। बलिदान और त्याग की ऐसी भावना का कहीं और मिल पाना बहुत मुश्किल था।
लोगों ने लेखक और उसके मित्रों को शाम वाली बस में यात्रा न करने की सलाह इसलिए दी क्योंकि बस अत्यंत पुरानी थी। उसका कोई भरोसा नहीं था कि वह कब चलते चलते रुक जाए। कुछ लोग तो शाम वाली इस पुरानी बस को 'डाकिन' कह कर संबोधित करते थे। इन्हीं कारणों से कोई भी व्यक्ति शाम वाली बस में किसी को भी यात्रा न करने की सलाह देता था।
लेखक के बस के अंदर बैठने के कुछ देर बाद इंजन चालू हुआ तो ऐसा लगा मानो सारी बस इंजन के समान धक धक कर हिलने-डुलने लगी हो। लेखक यह सोचने पर विवश हो गया कि वह बस में बैठा है यह इंजन के अंदर। सारी बस पूरी तरह से हिल रही थी जो उसकी सोच को पूर्णतः सच कर रही थी।
लेखक ने जब हिस्सेदार साहब की बात सुनी कि यह बस अपने आप चलेगी तो उसे बहुत हैरानी हुई क्योंकि बस बहुत अधिक पुरानी हो चुकी थी । उसे देखकर ऐसा लगता था मानो वह सदियों के अनुभव के निशान लिए हुए थी । बस का प्रत्येक कल पुर्जा हिल रहा था।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।।
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