India Languages, asked by Mokshil11, 10 months ago

तुकडोजी के पद
- राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज (सन 1909-1969)

है कान की शोभा श्रवण से, कुंडलों से है नहीं ।
है दान ही शोभा हाथ की, वह कंगनों से है नहीं ।
मुख की है शोभा प्रिय बचनों से, चंदन से नहीं।
शोभा बदन की सत्य से है, भोग से बिलकुल नहीं ।।।।
मत मित्र कर लो मूर्ख को, वह भ्रष्ट कर देगा तुम्हें ।
अपमान होगा हर घड़ी फिर नष्ट कर देगा तुम्हें ।।
उससे भला ही शत्रु हो, पर सदगुणी विद्वान ही।
सीखो उसी का ज्ञान, फिर न व्यर्थ जावे जान ही ॥2॥
उद्योगहीन जो आदमी, शैतान ही बनकर चले।
शांति न उसके दिल मिले, न धन मिले, भोजन मिले ।।
बस आलसी बनके सदा, सोता औ रोता हर घड़ी।
इससे बेहतर लाज तजकर, मजदूरी करनी बड़ी ।।3।।
मत झूठ में ग्वाही भरो, या न्याय झूठा ना करो।
अधिकार में मद ना धरो या चाकरी में ना डरो ।
बेपार में ना हो असत्, धनी या हकीम में हो कदर ।
संसार में तब सार है, अपनी स्थिति में नेक धर ।।4।।
...
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Answered by shroomonly
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Answered by aruntyagi175
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