तू कल दिल में थी और आज भी दिल में बस फर्क इतना है कल फेवरेट में थी और ब्लॉक लिस्ट में है
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CBSE Class 10 Hindi A व्याकरण रस
रस – साहित्य का नाम आते ही रस का नाम स्वतः आ जाता है। इसके बिना साहित्य की कल्पना नहीं की जा सकती है। भारतीय साहित्य शास्त्रियों ने साहित्य के लिए रस की अनिवार्यता समझा और इसे साहित्य के लिए आवश्यक बताया। वास्तव में रस Ras काव्य की आत्मा है।
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