तालाब की आत्मकथा पर निबंध लेखन
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मैं तालाब हूं मेरा अस्तित्व है वर्षों पुराना है मैं किसी भी बड़े गड्ढे में अपना स्थान बना लेता हूं. मैं अक्सर जंगलो बगीचों, गांव और खेतों के बीच में पाया जाता हूं.
मुझे कुछ स्थानों पर पोखर और बावड़ी के नाम से भी जाना जाता है. मेरे अंदर नदियों, झीलों और बारिश का पानी समाया होता है पुराने जमाने में 12 महीनों तक पानी से लबालब भरा रहता था और मेरे चारों ओर हरियाली फैलाता था.
मेरा पानी पीकर जंगल के जीव जंतु बहुत खुश होते है मैं उनके अमूल्य जीवन का प्रमुख सहारा हूं. मेरे पानी से गांव के खेतों में सिंचाई की जाती है जिससे अच्छी फसल की पैदावार होती है और गरीब किसान खुश रहते है.
मैं कई स्थानों पर प्राकृतिक रूप से पाया जाता हूं तो कई जगह मुझे राजा महाराजाओं द्वारा बनाया गया है. कुछ स्थानों पर मैं छोटा होता हूं तो कुछ स्थानों पर मैं बहुत विशाल होता हूं.
वर्तमान में नई पीढ़ी द्वारा मुझे भुलाया जा रहा है मेरा अस्तित्व खतरे में है. अब तो गर्मियों का मौसम आते आते मैं पूरा सूख जाता हूं फिर ऊपर से मानव द्वारा मेरे अंदर कचरा और केमिकल डालकर मुझे प्रदूषित किया जाता है जिस कारण मेरा जल पीने योग्य नहीं रहता है.
मैं आज बहुत दुखी हूं क्योंकि जिन जीव जंतुओं को मैं जीवन देता था आज उन्हीं के प्राण लेता हूं मेरा आप सभी मानव से निवेदन है कि मुझे पुन: जीवनदान दे. मैं भी आपको बदले में जीवन जीने के लिए अमूल्य जल प्रदान करूंगा.
तालाब की आत्मकथा
Explanation:
एक समय में मैं एक साफ़ और स्वच्छ तालाब हुआ करता था। हाल ही में प्रदुषण बढ़ जाने के कारण में भी दूषित हो गया हूँ । पहले मुझमे काफी साड़ी मछलियाँ और अन्य जल जीव रहते थे लेकिन अब वे सब प्रदुषण के कारण मर गए हैं। उनके मुझमे न होने के कारण में बहुत अकेला महसूस करता हूँ में चाहता हूँ कि मैं पहले जैसा साफ़ सुथरा हो जाऊँ । प्रदुषण के कारण न सिर्फ मेरा बल्कि मुझ में रह रहे जल जीवों का भी ह्रास हुआ है। मुझमे रहने वाले जीवों के आलावा जो जीव मुझमे से पानी पिटे थे प्रदुषण के कारण उनकी जनसँख्या भी घाट गई है ।
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