Hindi, asked by sjyoti2401, 9 months ago

ताला बंदी के दौरान होने वाली
परीक्षा पर दो छात्रों की बात चीत
संवाद के रूप में लिखें​

Answers

Answered by ItzParth14
4

Answer:

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समय की मांग समावेशी संवाद है

किसी भी संकट, ख़ासतौर से सार्वजनिक स्वास्थ्य की चुनौती के समय के संवाद की रणनीति तभी असरदार साबित होती है, जब सटीक जानकारी को जनता के हर तबक़े तक पहुंचाया जाए. चूंकि संवाद शब्द अपने आप में सबको समेटने वाला है, ऐसे में किसी भी सूचना की व्याख्या और उसे किस रूप में देखा जाएगा, ये अलग-अलग समुदायों में अलग-अलग होता है. हालांकि, अभी इस बात पर विवाद बना हुआ है कि भारत में कोरोना वायरस की महामारी किस चरण में प्रवेश कर चुकी है. ये तीसरे चरण यानी कम्युनिटी ट्रांसमिशन में जा चुकी है या नहीं. ऐसे में लोगों तक जानकारी पहुंचाने में जुटे हर विभाग और समूह के लोगों को चाहिए कि ऐसा समावेशी संवाद तैयार करें, जो इस संकट से निपटने के लिए आवश्यक हर तबक़े तक पहुंच सके. जो लोगों की चिंताओं को दूर कर सके. जो हर सामाजिक और आर्थिक तबक़े की आवश्यकताओं का ध्यान रख कर बनाया जाए. चूंकि सार्वजनिक संवाद अलग-अलग माध्यमों से होते हुए लोगों तक पहुंचता है. ऐसे में ये सुनिश्चित करना होगा कि ये समाज के किसी भी वर्ग को न तो नीचा दिखाए और न ही किसी के बीच भेदभाव करे. इससे भी अधिक महत्वपूर्ण यह है कि सरकार और इसके प्रतिनिधि जो भी घोषणाएं करते हैं उनसे नागरिकों के बर्ताव पर कोई उल्टा असर नहीं पड़ना चाहिए. उदाहरण के तौर पर दिल्ली की सरकार अपने राज्य से बड़ी संख्या में अप्रवासी मज़दूरों के उत्तर प्रदेश को पलायन को नहीं रोक सकी. इस संकट ने दिल्ली सरकार के जनता से संवाद की रणनीति में आवश्यक तत्वों के अभाव को पूरी तरह से सामने ला दिया. वहीं, दूसरी तरफ़ महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपने राज्य में रह रहे अप्रवासियों को अपनी ओर से भरोसे का सूचना दिया. उद्धव ठाकरे इन लोगों को ये समझाने में सफल रहे कि वो उनके हितों का ध्यान रखेंगे. इसके लिए उन्होंने सुरक्षा के शिविर बनाने की घोषणा की. इस तरह से उद्धव ने एक ऐसी मिसाल पेश की, जिसका अनुगमन देश के अन्य राज्यों की सरकारें भी कर सकती हैं. संवाद में ऐसी समावेशी रणनीति, विश्व स्वास्थ्य संगठन के उन दिशा निर्देशों के अनुरूप है, जिन्हें इंटरनेशनल हेल्थ रेग्यूलेशन (IHR) के नाम से जारी किया गया है. जिनके अंतर्गत सरकारों से अपील की गई है कि वो संवाद की रणनीति में मानवाधिकारों का सम्मान करने का विशेष ध्यान रखें.

Answered by Anonymous
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समयकीमांगसमावेशीसंवादहै

किसी भी संकट, ख़ासतौर से सार्वजनिक स्वास्थ्य की चुनौती के समय के संवाद की रणनीति तभी असरदार साबित होती है, जब सटीक जानकारी को जनता के हर तबक़े तक पहुंचाया जाए. चूंकि संवाद शब्द अपने आप में सबको समेटने वाला है, ऐसे में किसी भी सूचना की व्याख्या और उसे किस रूप में देखा जाएगा, ये अलग-अलग समुदायों में अलग-अलग होता है. हालांकि, अभी इस बात पर विवाद बना हुआ है कि भारत में कोरोना वायरस की महामारी किस चरण में प्रवेश कर चुकी है. ये तीसरे चरण यानी कम्युनिटी ट्रांसमिशन में जा चुकी है या नहीं. ऐसे में लोगों तक जानकारी पहुंचाने में जुटे हर विभाग और समूह के लोगों को चाहिए कि ऐसा समावेशी संवाद तैयार करें, जो इस संकट से निपटने के लिए आवश्यक हर तबक़े तक पहुंच सके. जो लोगों की चिंताओं को दूर कर सके. जो हर सामाजिक और आर्थिक तबक़े की आवश्यकताओं का ध्यान रख कर बनाया जाए. चूंकि सार्वजनिक संवाद अलग-अलग माध्यमों से होते हुए लोगों तक पहुंचता है. ऐसे में ये सुनिश्चित करना होगा कि ये समाज के किसी भी वर्ग को न तो नीचा दिखाए और न ही किसी के बीच भेदभाव करे. इससे भी अधिक महत्वपूर्ण यह है कि सरकार और इसके प्रतिनिधि जो भी घोषणाएं करते हैं उनसे नागरिकों के बर्ताव पर कोई उल्टा असर नहीं पड़ना चाहिए. उदाहरण के तौर पर दिल्ली की सरकार अपने राज्य से बड़ी संख्या में अप्रवासी मज़दूरों के उत्तर प्रदेश को पलायन को नहीं रोक सकी. इस संकट ने दिल्ली सरकार के जनता से संवाद की रणनीति में आवश्यक तत्वों के अभाव को पूरी तरह से सामने ला दिया. वहीं, दूसरी तरफ़ महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपने राज्य में रह रहे अप्रवासियों को अपनी ओर से भरोसे का सूचना दिया. उद्धव ठाकरे इन लोगों को ये समझाने में सफल रहे कि वो उनके हितों का ध्यान रखेंगे. इसके लिए उन्होंने सुरक्षा के शिविर बनाने की घोषणा की. इस तरह से उद्धव ने एक ऐसी मिसाल पेश की, जिसका अनुगमन देश के अन्य राज्यों की सरकारें भी कर सकती हैं. संवाद में ऐसी समावेशी रणनीति, विश्व स्वास्थ्य संगठन के उन दिशा निर्देशों के अनुरूप है, जिन्हें इंटरनेशनल हेल्थ रेग्यूलेशन (IHR) के नाम से जारी किया गया है. जिनके अंतर्गत सरकारों से अपील की गई है कि वो संवाद की रणनीति में मानवाधिकारों का सम्मान करने का विशेष ध्यान रखें.

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