* टिळक जी द्वारा संपादित / प्रकाशित केसरी' समाचारपत्र की जानकारी संक्षेप में लिखिए।
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केसरी (अर्थ: शेर)
Explanation:
मराठी भाषा का एक समाचारपत्र है जिसकी स्थापना १८८१ में बाल गंगाधर तिलक ने की थी। इस पत्र का उपयोग भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को वाणी देने के लिये की गयी। यह समाचारपत्र आज भी तिलक जी के वंशजों एवं केसरी महरट्टा ट्रस्ट द्वारा प्रकाशित होता है। केसरी में "देश का दुर्भाग्य" नामक शीर्षक से लेख लिखा जिसमें ब्रिटिश सरकार की नीतियों का विरोध किया, परिणाम स्वरूप उन्हें 6 वर्ष के कठोर कारावास के अंतर्गत वर्मा के मांडले जेल में बंद कर दिया गया। 1- कारावास के दौरान तिलक ने "आर्कटिक होम आफ द वेदाज" तथा "गीता रहस्य" नामक ग्रंथ की रचना की । 2-तिलक को भारतीय दंड संहिता की धारा 124-ए के अंतर्गत राजद्रोह के अभियोग में 27 जुलाई 1897 को गिरफ्तार कर लिया गया । 3-1870 में ब्रिटिश सरकार ने भारतीय दंड संहिता में धारा 124-ए जोड़ा जिसके अंतर्गत "भारत में विधि द्वारा स्थापित ब्रिटिश सरकार के प्रति विरोध की भावना भड़काने वाले व्यक्ति को 3 साल की कैद से लेकर आजीवन देश निकाला तक की सजा दिए जाने का प्रावधान था।"
केसरी "
स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा का नारा लगाकर, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के पहले नेता और स्वराज का नारा बुलंद कर कई पीढ़ियों को प्रेरित करने वाले बाल गंगाधर तिलक एक भारतीय राष्ट्रवादी, शिक्षक, समाज सुधारक, वकील और एक स्वतन्त्रता सेनानी थे | ये वहीं हैं, जिन्होंने स्वराज को जन्मसिद्ध अधिकार बताकर उसके लिए जिंदगीभर संघर्ष किया | वह हिन्दू राष्ट्रवाद का पिता के नाम से जाने जाते हैं |
मराठी भाषा का एक समाचारपत्र है जिसकी स्थापना बाल गंगाधर तिलक जी ने की थी। इस पत्र का उपयोग भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को वाणी देने के लिये की गयी। यह समाचारपत्र आज भी तिलक जी के वंशजों एवं केसरी महरट्टा ट्रस्ट द्वारा प्रकाशित होता है। केसरी मराठी भाषा का एक महत्त्वपूर्ण समाचार पत्र है |
तिलक के सहयोगियों चिपलूणकर, आगरकर, गर्दें और बी.एम. नामजोशी के संयुक्त हस्ताक्षरों के साथ ‘केसरी’ का घोषणापत्र प्रकाशित किया। इस घोषणा पत्र में कहा गया था कि इसमें अन्य पत्रों की भाँति समाचार, राजनीतिक घटनाएँ, व्यापार के साथ ही सामाजिक विषय पर निबंध, नयी पुस्तकों की समीक्षा और इंग्लैंण्ड की नयी राजनीतिक घटनाओं की भी चर्चा की जायेगी।
इस घोषणा पत्र ने ये साफ कर दिया थे कि ये दोनों समाचार पत्र अन्य पत्रों की तरह प्रचलित शासन व्यवस्था की चापलूसी नहीं करेगें। इन दोनों पत्रों की विषय सामग्री एक ही थी। अन्तर केवल इतना था कि ‘केसरी’ पत्र मराठी भाषा में प्रकाशित होता था और ‘मराठा’ पत्र अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित किया जाता था। इन दोनों पत्रों का एकमात्र उद्देश्य देशवासियों में स्वाधीनता की भावना का विकास करना था।
अपने इसी उद्देश्य को सार्थक करते हुये ‘मराठा’ का पहला अंक 2 जनवरी 1881 को और ‘केसरी’ का पहला अंक 4 जनवरी 1881 को प्रकाशित किया गया। ‘केसरी’ पत्र के सम्पादन का कार्य गंगाधर तिलक करते थे और आगरकर ‘मराठा’ के सम्पादक के रुप में कार्य करते थे। ‘केसरी’ के प्रथम अंक के प्रकाशन के बाद खुद तिलक ने घर-घर जाकर इसकी प्रतियाँ ग्राहकों को पहुँचायी थी।