Political Science, asked by akhilavijayan1034, 8 months ago

तिलक के जीवन परिचय पर प्रकाश डालिए।

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Answered by sube627
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जन्म: 23 जुलाई 1856, रत्नागिरी, महाराष्ट्र

मृत्यु: 1 अगस्त 1920

बाल गंगाधर तिलक को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का जनक माना जाता है| वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे| वह एक समाज सुधारक, स्वतंत्रता सेनानी, राष्ट्रीय नेता के साथ-साथ भारतीय इतिहास, संस्कृत, हिन्दू धर्म, गणित और खगोल विज्ञानं जैसे विषयों के विद्वान भी थे| बाल गंगाधर तिलक ‘लोकमान्य’ के नाम से भी जाने जाते थे| स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान उनके नारे ‘स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे ले कर रहूँगा’ ने लाखों भारतियों को प्रेरित किया|

प्रारंभिक जीवन

बाल गंगाधर तिलक का जन्म २३ जुलाई १८५६ को महाराष्ट्र के रत्नागिरी के एक चित्पवन ब्राह्मण कुल में हुआ था| उनके पिता गंगाधर रामचन्द्र तिलक संस्कृत के विद्वान और एक प्रख्यात शिक्षक थे| तिलक एक प्रतिभाशाली विद्यार्थी थे और गणित विषय से उनको खास लगाव था| बचपन से ही वे अन्याय के घोर विरोधी थे और अपनी बात बिना हिचक के साफ़-साफ कह जाते थे| आधुनिक शिक्षा प्राप्त करने वाले पहली पीढ़ी के भारतीय युवाओं में से एक तिलक भी थे|

जब बालक तिलक महज १० साल के थे तब उनके पिता का स्थानांतरण रत्नागिरी से पुणे हो गया| इस तबादले से उनके जीवन में भी बहुत परिवर्तन आया| उनका दाखिला पुणे के एंग्लो-वर्नाकुलर स्कूल में हुआ और उन्हें उस समय के कुछ जाने-माने शिक्षकों से शिक्षा प्राप्त हुई| पुणे आने के तुरंत बाद उनके माँ का देहांत हो गया और जब तिलक १६ साल के थे तब उनके पिता भी चल बसे| तिलक जब मैट्रिकुलेशन में पढ़ रहे थे उसी समय उनका विवाह एक १० वर्षीय कन्या सत्यभामा से करा दिया गया| मैट्रिकुलेशन की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उन्होंने डेक्कन कॉलेज में दाखिला लिया| सन १८७७ में बाल गंगाधर तिलक ने बी. ए. की परीक्षा गणित विषय में प्रथम श्रेणी के साथ उत्तीर्ण किया। आगे जा कर उन्होंने अपनी पढाई जारी रखते हुए एल. एल. बी. डिग्री भी प्राप्त किया|

कैरियर

स्नातक होने के पश्चात तिलक ने पुणे के एक प्राइवेट स्कूल में गणित पढ़ाया और कुछ समय बाद पत्रकार बन गये| वह पाश्चात्य शिक्षा व्यवस्था के पुरजोर विरोधी थे| उनके अनुसार इससे न केवल विद्यार्थियों बल्कि संपूर्ण भारतीय संस्कृति और धरोहर का अनादर होता है| उनका ये मानना था की अच्छी शिक्षा व्यवस्था ही अच्छे नागरिकों को जन्म दे सकती है और प्रत्येक भारतीय को अपनी संस्कृति और आदर्शों के बारे में भी जागरूक कराना चाहिए। अपने सहयोगी आगरकर और महान समाज सुधारक विष्णु शाश्त्री चिपुलंकर के साथ मिलकर उन्होंने ‘डेक्कन एजुकेशन सोसाइटी’ की स्थापना की जिसका उद्देश्य देश के युवाओं को उच्च स्तर शिक्षा प्रदान करना था| ‘डेक्कन एजुकेशन सोसाइटी’ की स्थापना के पश्चात, तिलक ने २ साप्ताहिक पत्रिकाओं, ‘केसरी’ और ‘मराठा’ का प्रकाशन शुरू किया| ‘केसरी’ मराठी भाषा में प्रकाशित होती थी जबकि ‘मराठा’ अंग्रेजी भाषा की साप्ताहिकी थी| जल्द ही दोनों बहुत लोकप्रिय हो गये| इनके माध्यम से तिलक ने भारतियों के संघर्ष और परेशानियों पर प्रकाश डाला| उन्होंने हर एक भारतीय से अपने हक़ के लिए लड़ने का आह्वान किया।

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