तिलका मांझी के विषय में संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए
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तिलका माँझी, संथाल समुदाय के थे संताली: तिलका मांझी भारत के आदिविद्रोही हैं। दुनिया का पहला आदिविद्रोही रोम के पुरखा आदिवासी लड़ाका स्पार्टाकस को माना जाता है। भारत के औपनिवेशिक युद्धों के इतिहास में जबकि पहला आदिविद्रोही होने का श्रेय संथाल आदिवासी समुदाय के लड़ाकों को माना जाता हैं जिन्होंने राजमहल, झारखंड की पहाड़ियों पर ब्रिटिश हुकूमत से लोहा लिया। इनमें सबसे लोकप्रिय संथाल आदिविद्रोही तिलका मांझी हैं।तिलका मांझी का जन्म 11 फ़रवरी 1750 में बिहार के सुल्तानगंज में हुआ. 1785 में भागलपुर में अंग्रेजों ने उन्हें जेल में डालने के बाद फांसी पर चढ़ा दिया. उन्होंने अंग्रेज़ी शासन के खिलाफ लंबी लड़ाई छेड़ी. संथालों के प्रसिद्ध 'संथाल विद्रोह' का नेतृत्व भी मांझी ने किया था.
उनका नाम देश के पहले स्वतंत्रता संग्रामी और शहीद के रूप में लिया जाता है. उन्हें 'जाबरा पहाड़िया' के नाम से भी जाना जाता था. उनका ज्यादा जीवन गांवों और जंगलों में कटा था. वो धनुष-बाण चलाने और जंगली जानवरों का शिकार में प्रवीण थे. कसरत-कुश्ती, बड़े-बड़े पेड़ों पर चढ़ना-उतरना, जंगलों में बेधड़क घूमना उनका रोजाना का काम था. वो निडर और वीर थे.
तिलका ने सेना बनाकर विद्रोह कर दिया
आखिरकार जब तिलका मांझी को लगा कि अंग्रेजों का अत्याचार कुछ ज्यादा ही हो गया है तो उन्होंने 'बनैचारी जोर' नाम की जगह उनके खिलाफ विद्रोह शुरू किया. आदिवासी विद्रोही फैलने लगा. अंग्रेजों ने क्लीव लैंड को मजिस्ट्रेट बनाकर वहां हालात को काबू करने भेजा.
अंग्रेज अफसर को मार गिराया
मांझी जंगल, तराई और गंगा, ब्रह्मी और अन्य नदियों की घाटियों में अपने लोगों के साथ अंग्रेज़ी सरकार के सैनिक अफसरों के साथ संघर्ष करते रहे. ये लड़ाई मुंगेर से लेकर भागलपुर और संथाल तक फैली हुई थी. जगह जगह छिपकर अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध लड़ा जा रहा था.लड़ाई के साथ तिलका अपनी जगह भी बदल रहे थे. लड़ाई मांझी के हाथों राजमहल का सुपरिटेंडेंट क्लीव लैंड मारा गया.