टेलर द्वारा प्रतिपादित ‘ कार्यात्मक फोरमैनशिप की तकनीकी एवं मानसिक क्रांति ‘ की अवधारणा को समझाएं I
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"कार्यात्मक फोरमैनशिप
फोरमैन कारखाना प्रणाली का वह प्रबंधक होता है, जिसके सीधे सर्म्पक में श्रमिक प्रतिदिन आते हैं। फोरमैन निम्नतम स्तर कर प्रबंधक और उच्चतम श्रेणी का श्रमिक होता है। वह केंद्र बिंदु होता है जिसके चारों ओर पूरा उत्पादन नियोजन, क्रियान्वयन एवं नियंत्रण घूमता है| टेलर ने कारखाना ढाँचे में इस भूमिका के निष्पादन के सुधार पर ध्यान दिया। टेलर ने नियोजन एवं उसके क्रियान्वयन को अलग-अलग रखने को कहा | कारखाना प्रबंधक के अधीन योजना अधिकारी एवं उत्पादन अधिकारी थे। नियोजन अधिकारी के अधीन चार कर्मचारी कार्य कर रहे थे_ जिनके नाम हैं निर्देशन कार्ड क्लर्क, कार्यक्रम क्लर्क, समय एवं लागत क्लर्क, एवं कार्यशाला अनुशासक। यह चार क्रमशः कर्मचारी, कर्मचारियों के लिए निर्देश तैयार करेंगे, उत्पादन का कार्यक्रम तैयार करेंगे, समय एवं लागत सूची तैयार करेंगे एवं अनुशासन सुनिश्चित करेंगे। उत्पादन अधिकारी के अधीन जो कर्मचारी कार्य करेंगे वे हैं-गतिनायक, टोलीनायक, मरम्मत नायक एवं निरीक्षक। ये क्रमशः कार्य समय ठीक से तैयार करने, श्रमिकों द्वारा मशीन उपकरणों को कार्य के योग्य रखने एवं कार्य की गुणवत्ता की जाँच करने के लिए उत्तरदायी होते हैं।
मानसिक क्रान्ति-
मानसिक क्रान्ति से अभिप्राय प्रबन्धकों एवं श्रमिकों की मान्यताओं एवं विचारों में क्रान्तिकारी परिवर्तन लाना होता है । टेलर के अनुसार- ”वैज्ञानिक प्रबन्ध के अन्तर्गत दोनों पक्षों के मानसिक दृष्टिकोण में एक बड़ी क्रान्ति आती है जिसके अन्तर्गत दोनों पक्ष अन्य महत्वपूर्ण मामलों की भांति आधिक्य के बँटवारे से अपनी निगाह दूर रखते हैं और इसके साथ ही आधिक्य आकार में वृद्धि करने की ओर अधिक ध्यान देते रहना चाहिये जब तक कि यह आधिक्य इतना बड़ा हो जाये कि इसमें वितरण के विषय में झगड़ना आवश्यक होगा ।
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टेलर के अनुसार- ”वैज्ञानिक प्रबन्ध के अन्तर्गत दोनों पक्षों के मानसिक दृष्टिकोण में एक बड़ी क्रान्ति आती है जिसके अन्तर्गत दोनों पक्ष अन्य महत्वपूर्ण मामलों की भांति आधिक्य के बँटवारे से अपनी निगाह दूर रखते हैं और इसके साथ ही आधिक्य आकार में वृद्धि करने की ओर अधिक ध्यान देते रहना चाहिये जब तक कि यह आधिक्य इतना बड़ा हो ...