तुलसी इह संसार में भाँति-भाँति के लोग।सबसों हिल मिल चलिए, नदी-नाव संजोग।।Tulsi is Sansar Mein Bhati Bhati Ke Log Sab Sohail mil Chaliye Nadi Nav Sanjog
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तुलसी इह संसार में भाँति-भाँति के लोग।
सबसों हिल मिल चलिए, नदी-नाव संजोग।।
अर्थ : तुलसीदास कहते हैं कि इस संसार में अलग-अलग तरह तरह के लोग रहते हैं। इसलिए आप सब से हँसकर मिलकर रहो, और विनम्रता से पेश आओ। बिल्कुल उसी तरह जैसे नाव नदी के साथ सहयोग करके ही पार लगती है। वैसे ही आप इस संसार में सब लोगों के साथ मिलजुलकर इस भवसागर को पार कर लो।
तुलसी के कहने का भाव यह है कि भले ही संसार के लोग अलग-अलग स्वभाव और आचरण के हों, लेकिन इस जीवन को सही ढंग से जीने के लिए सब लोगों को आपस में मिल जुल कर रहना चाहिए। ताकि जीवन की कठिन परिस्थितियों से आसानी से सामना किया जा सके और जीवन को सही ढंग से जिया जा सके।
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