तुलसी मीठे वचन ते, सूख उपजत चहु ओर।
वशीकरण इक मंत्र है, तजि दे वचन कठोर।।
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बसीकरन इक मंत्र है परिहरू बचन कठोर। इसका अर्थ है – तुलसीदास जी इस दोहे में यह कहना चाह रहे है की मीठी बोली स्वयं के साथ अपने चारों ओर सुख को प्रकाशित करती हैं। यह एक ऐसा अचूक मंत्र है जो सबको अपनी ओर सम्मोहित करता हैं। इसलिए हर व्यक्ति को कटु वचन का त्याग कर मीठे बोल बोलने का प्रयास करना चाहिए।
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