Hindi, asked by hansamehta4867, 6 months ago

तुलसी संगत साधु कि ,घ्रे और कि व्याधि संगत बुरी असाधु की ,आठों पहर उपाधि I

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Answered by shishir303
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यह दोहा तुलसीदास का नहीं बल्कि कबीर दास द्वारा रचित किया गया है। सही दोहा और उसका भावार्थ इस प्रकार है...

कबीरा संगति साधु की , हरे और की व्याधि।  

संगति बुरी असाधु की , आठों पहर उपाधि ।।

भावार्थ : कबीर कहते हैं कि साधु पुरुष या सज्जन पुरुष की संगत करना ही श्रेष्ठ है और साधु- सज्जन पुरुष की संगत करने से हमारी सारी चिंताएं, व्याधियाँ विपत्तियाँ मिट जाती हैं। बुरे लोगों की संगत बेहद हानिकारक होती है और ऐसे बुरे लोगों की संगत करने से आठों पहर की व्याधियां, कुवासना, कुविचार हमें हर पल घेरे रहते हैं। इसलिए हे सतगुरु मुझे ऐसे बुरे लोगों की संगत में पड़ने से बचा और मुझे आपका नाम जपने वाले, आपका भजन सिमरन करने वाले सज्जन लोगों की संगत में रखना।  

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