तुलसी सरनाम गुलामु है राम को,
जाको रूचै सो कहै
कछु
ओऊ।
माँगि कै खैबो, मसीत को सोइबो,
लैबोको एकु न दैबेको दोऊ।
(क) अनुप्रास अलंकार के दो उदाहरण चुनकर लिखिए।
(ख) काव्यांश के भाषिक-सौन्दर्य पर टिप्पणी कीजिए।
Answers
Answered by
0
तुलसी सरनाम गुलामु है राम को,
जाको रूचै सो कहै कछु ओऊ।
माँगि कै खैबो, मसीत को सोइबो,
लैबोको एकु न दैबेको दोऊ।
(क) अनुप्रास अलंकार के दो उदाहरण चुनकर लिखिए।
➲ अनुप्रास अलंकार के दो उदाहरण हैं...
► ‘कहै कुछ’ (‘क’ वर्ण की दो बार आवृत्ति हो रही है।)
एवम्
► ‘दैबेको दोऊ’ (‘द’ वर्ण की दो बार आवृत्ति हो रही है।)
(ख) काव्यांश के भाषिक-सौन्दर्य पर टिप्पणी कीजिए।
➲ काव्यांश के भाषिक सौन्दर्य में कविता में ब्रज भाषा का प्रयोग किया गया है। कविता में प्रासाद गुण का प्रयोग किया गया है। काव्यांश में शांत रस उद्घाटित हो रहा है, और काव्यांश में दो जगह अनुप्रास अंलकार का प्रयोग किया गया है।
○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○
Similar questions