तुलसीदास अपने आपको चातक पक्षी के समान क्यों बताते हैं?
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तुलसीदास अपने आप को चातक पंछी इसलिए मानते थे क्योंकि वह मधुर वचन और सत्य वारी बोलते थे और और यह हमेशा सत्य के मार्ग पर चलने वाले तुलसीदास थे इसीलिए वह अपने आप को चातक पंछी के समान बताते हैं
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