Hindi, asked by sanskarchoubey073, 4 months ago

तुलसीदास अथवा जयशंकर प्रसाद की काव्यगत विशेषताएं निम्नलिखित बिंदुओं के आधार पर कीजिए दो रचनाएं भाव पक्ष एवं कला पक्ष iska answer btaye ​

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Answered by RMPatel
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1. सूरदास

जीवन परिचय-महाकवि सूरदास हिन्दी की कृष्ण-भक्ति शाखा के सबसे प्रथम एवं सर्वोत्तम कवि हैं। सूरदास पहले भक्त एवं बाद में कवि हैं। भक्ति की सूरदास जैसी तन्मयता अन्य कवियों में मिलना दुर्लभ है। सूरदास ने अपने बचपन की आँखें दिल्ली के निकट सीही नामक ग्राम में सन् 1478 ई. में खोलीं। सूरदास जन्मांध थे,परन्तु उनके काव्य की सरलता एवं मधुरता को निहार कर उनके जन्मांध होने में शंका होती है। सन् 1583 ई. के लगभग,वे मृत्यु की गोद में सो गये।

Answered by Jasleen0599
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तुलसीदास अथवा जयशंकर प्रसाद की काव्यगत विशेषताएं निम्नलिखित बिंदुओं के आधार पर कीजिए दो रचनाएं भाव पक्ष एवं कला पक्ष |

  • काव्यगत लक्षण - समरसता की भावना, आदर्श समाज की कल्पना, नौ रसों पर काव्य रचना, भावपक्ष और कालापक्ष दोनों उन्नत हुए। साहित्य में स्थान - श्रेष्ठ हिन्दी कवि। "काव्यात्मक विशेषताओं" के तहत कविता का भावनात्मक पक्ष और कलात्मक पक्ष छिपा है। भावनात्मक पक्ष में हम कवि की भावनाओं की गहराई और उसकी सूक्ष्म व्याख्या देखते हैं, जबकि दृश्य पक्ष में हम अलंकरण, शब्दों या भाषा की पसंद की सुंदरता देखते हैं।
  • साहित्य की विशेषताएँ जयशंकर प्रसाद प्रेम और सौन्दर्य का वर्णन - प्रसाद के काव्य का प्रमुख तत्त्व प्रेम और सौन्दर्य की अनुभूति है। प्रेम को महसूस करने की दिशा मनुष्य, प्रकृति और ईश्वर तक फैली हुई है। इसी कारण प्रसाद जी ने मनुष्य, प्रकृति और ईश्वर तीनों के सौन्दर्य का आकर्षक चित्रण किया। गोस्वामी तुलसीदास जी के काव्य का दार्शनिक आधार भक्ति है, संसार असत्य है, ईश्वर की भक्ति सत्य है, संसार से आसक्ति आसक्ति है, ईश्वर की ओर मुड़ना प्रेम या भक्ति है। और जीवों की प्रकृति और उनके अंतर्संबंधों पर चर्चा की गई।
  • तुलसीदास ने अवधी के साथ-साथ ब्रजभाषा में भी रचना की। संस्कृत पर उनका बराबर का अधिकार था। तुलसीदास ने रामचरितमानस के प्रत्येक चरण की शुरुआत संस्कृत में की। शेष दोहे और चौपाइयां अवधी में हैं।

#SPJ3

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