तुलसीदास जी के अनुसार श्री राम का निर्मल यशगान करने से कौन - से फल प्राप्त होते हैं
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तुलसी के अनुसार श्रीराम के निर्मल यश का गान करने से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष ये चारों फल प्राप्त होते हैं। तुलसी दास जी अपने दोहे के माध्यम से कहते हैं
श्री गुरु चरण सरोज रज निज मन मुकुर सुधारि
बरनहूँ रघुवार बिमल जसु जो दायक फल चारि।
अर्थात तुलसीदास जी कहते हैं कि गुरु के चरण कमलों की धूल से मैं अपने मन रूपी दर्पण को साफ करके भगवान श्री राम के उस पावन और निर्मल यश का गान करता हूँ, जो धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष ये चारों फल प्रदान करने वाला है। तुलसीदास जी ने गुरु के चरणों की धूल से मन की दर्पण पर लगी बुराइयों रूपी गंदगी को स्वच्छ करने की संज्ञा देकर गुरु की महिमा का वर्णन किया ही, इसके साथ ही भगवान श्री राम की महिमा का भी वर्णन कर दिया।
Answer: तुलसीदास जी के अनुसार श्री राम का निर्मल यशगान करने से चारों पुरुषार्थ अथवा समस्त मनोरथ सिद्ध होते है | चाहे वह धर्म से संबन्धित हो चाहे धन से या कामना विशेष से हो अथवा मुक्ति से ही संबंधित क्यों न हो | वस्तुतः राम का यशगान सकल मंगल का मूल है | ------
तुलसी तो यहाँ तक कहते है कि १) "भव भेषज रघुनाथ जस सुनही जे नर नारी |
तिनके सकल मनोरथ सिद्ध करही त्रिपुरारी ||" {रामचरित मानस ] अर्थात श्री राम का यश जो इस भवरूपी रोग की दवा है इसे जो सुनेगा उसके समस्त मनोरथों को स्वयं शंकरजी पूर्ण /सिद्ध करेंगे |
२ ) "सकल सुमंगल दायक रघुनायक गुणगान |सादर सुनही जे ते तरही भव -सिन्धु बिना जलजान ||" {रामचरित मानस ]
वस्तुतः राम का यशगान सकल मंगल/शुभ का प्रदाता है | इसका गुणगान करने और सुनने वाले बिना जहाज /जलयान के इस भवसागर को पार कर लेते हैं |