तुलसीठास जी की लोक
जी की लोक मे जो इतनी
और कीर्ति प्राप्त हुई । उनक
दीर्थ जीवन जी इतना महत्त्वमय और
गांतिमय रहा
उनकी मानसिक
बस्वतंत्रता निहट्ता निवट्वता और
आत्म निर्भरता के
के कारण
वटा उनके
समकालीन केशवदास को देखिए, जो
जीवन पसार
विलासी राजाओं के बाश की
कठपुतली बने रहे, जिन्होने आत्म-
स्वतंत्रता की भोर कम ध्यान दिया
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its tulsidasnot tulsithas
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