तुलसीदास की कृति रामचरितमानस में वर्णित मार्मिक प्रसंगों का उल्लेख कीजिये हिंदी
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तुलसीदास हिन्दी साहित्य की रामभकित परंपरा के सशक्त आधार स्तंभ हैं। तुलसी से पहले और बाद में भी हिन्दी साहित्य में रामभकित काव्य की परंपरा मिलती है, किंतु रामभकित को जन-जन में प्रसारित करने और राम के नाम को भकित-क्षेत्रा में सर्वोपरि स्थान दिलाने में तुलसीदास का महत्तम योगदान है। सामाजिक दृषिट से उनका महत्त्व इस दृषिट से और भी बढ़ जाता है कि उन्होंने न केवल रामभकित को अपनी कविता का उíेश्य बनाया अपितु समसामयिक राजनैतिक, सामाजिक, आर्थिक एवं धार्मिक परिसिथतियों के अनुरूप राम के आदर्श चरित्रा का जो रूप प्रस्तुत किया, उससे उन्हें व्यापक लोक मान्यता प्राप्त हुर्इ।
तुलसी के युग में धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक मूल्य अपना महत्त्व खो चुके थे। समाज उच्चवर्ग और निम्नवर्ग की दो गहरी खाइयों में बंटा हुआ था। उच्च सामंतवर्ग जहाँ एक ओर वैभव विलासपूर्ण जीवन में लिप्त था, तो गरीब वर्ग जीवन की आवश्यक आवश्यकताओं से भी वंचित था। तुलसी के काव्य में उपलब्ध 'खेती न किसान को, बनिक को बनिज न, भिखारी को न भीख भलि, चाकर को चाकरी जैसी पंकितयाँ उनके युग के समाज की दयनीय दशा की ओर संकेत करती हैं। धन के मद में डूबे शासक-वर्ग को शोषित एवं संत्रास्त जन-समाज की कोर्इ चिंता नहीं थी। अत्याचारी शासकों के शासन में जनता स्वयं को असुरक्षित अनुभव कर रही थी।
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