Hindi, asked by rishabhranjan2473, 8 months ago

तुलसीदास के पद
(1)
दूलह श्री रघुनाथ बने दुलही सिय सुंदर मंदिर माहीं।
गावति गीत सबै मिलि सुंदर बेद जुवा जुरि विप्र पढ़ाहीं।।
राम को रूप निहारति जानकी, कंकन के नग की परछाहीं।
यातें सबै सुधि भूलि गई कर टेकि रही पल टारत नाहीं।।
-कवितावली : बालकांड
(2)
कागर कीर ज्यों भूषण-चीर सरीरु लस्यो तजि नीरू ज्यों काई।
मातु-पिता प्रिय लोग सबै सनमानी सुभायै सनेह सगाई।।
संग सुभामिनि, भाइ भलो, दिन, वै जनु औध हुते पहुनाई।
राजिव लोचन रामु चले तजि बाप को राज बटाऊ की नाईं।।
- कवितावली: अयोध्याकांड
(3)
जाऊँ कहाँ तजि चरन तुम्हारे।
काको नाम पतित पावन जग केहि अति दीन पियारे।
कौने देव बराइ बिरद हित, हठि-हठि अधम उधारे।
खग, मृग, व्याध, पषान, विटप जड़, जवन-कवन सुर
देव, दनुज, मुनि, नाग, मनुज सब, माया-बिबस बिचारे।
तिनके हाथ दास तुलसी प्रभु, कहा अपुनपौ हारे।।
तारे।
- विनयपत्रिका
तुलसीदास
21​


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Answered by bhatiamona
7

तुलसीदास के पद

(1)  दूलह श्री रघुनाथ बने दुलही सिय सुंदर मंदिर माहीं।

प्रश्न में दिया गया पद गोस्वामी तुलसी दस जी द्वारा लिखा गाय है| यह पद कवितावली के बालकाण्ड से लिया गया है| इसमें कवि ने राम के विवाह का वर्णन किया गया है|  श्री राम चन्द्र जी दूल्हा बने हुए है और सीता दुल्हन बनी हुई है| जनक जी के महल में विवाह हो रहा है| महल की सजावट त्यौहार की तरह की गई है| ऐसा लग रहा है जैसे उत्सव है| महल विवाह के गीतों से गूंज रहा है| सीता अपने कंगनों में श्री राम जी को देख रही है| वह एक पल के लिए भी अपनी नजरों को अपने कंगन में लगे नगों से हटा नहीं रही है|

(2) कागर कीर ज्यों भूषण-चीर सरीरु लस्यो तजि नीरू ज्यों काई।

प्रश्न में दिया गया पद गोस्वामी तुलसी दस जी द्वारा लिखा गाय है| यह पद कवितावली के बालकाण्ड से लिया गया है| इसमें कवि ने राम जी  आभूषण और वस्त्रों को त्यागकर जा रहे है जैसे छोड़कर सुवा अथवा केंचुल छोड़कर साँप, और काई छोड़कर जल माता | माता-पिया और प्रिय लोगों को छोड़कर जा रहे है|

(3) जाऊँ कहाँ तजि चरन तुम्हारे।  काको नाम पतित पावन जग केहि अति दीन पियारे।

प्रश्न में दिया गया पद गोस्वामी तुलसी दस जी द्वारा लिखा गाय है| यह पद कवितावली के बालकाण्ड से लिया गया है|

इस पद में कवि श्री राम के वनवास के समय का वर्णन किया गया है|  कवि बताते है जिस प्रकार एक तोता अपने पुराने पंखों का त्याग का  करके ने धारण करता है| उसकी प्रकार प्रभु श्री राम जी ने अपने राज योग , वस्त्रों और आभूषणों का त्याग करके सरल व्यक्ति का वेश धारण किया है| जिस प्रकार पानी के ऊपर काई की परत हट जाने से पानी एक दम साफ हो जाता है उसकी प्रकार श्री राम के चेहरे में और चमक आ गई है| साथ में सीता जी और लक्ष्मण भी साथ जा रहे है| महल की और महल के सुखों की कोई चिन्ता नहीं है|

Answered by mathurdheeraj743
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Answer:

dulah kshee raghunathu bane dulhi siy sundar mandir mahi me ras hai

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