Hindi, asked by sahu69897, 1 month ago

तुलसीदास का संपूर्ण काव्या समन्वय की विराट चेस्ट है समझाइए

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Answered by Anonymous
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ऐसे विषम वातावरण में तुलसी जैसे महापुरुष की आवश्यकता थी जो समन्वय स्थापित कर सके। विरोध दूर करके पारस्परिक भेद भाव को मिटाकर समरसता उत्पन्न करना ही समन्वय है। "लोकनायक वही हो सकता है जो समन्वय कर सके। तुलसी का सम्पूर्ण काव्य समन्वय की विराट चेष्टा है।"

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